भगवान के प्रति लोगों में आस्था यूं नहीं बसती। इन सब के पीछे कोई न कोई चमत्कारिक शक्ति होती है, जिससे लोग खुद खिंचे चले जाते हैं। इस बात को विज्ञान भी स्वीकार करता है कि एक अदृश्य शक्ति जरूर है। हिमाचल प्रदेश के चंबा में बना लक्ष्मी नारायण मंदिर इन्हीं रहस्यों से घिरा है।
देहरादून वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों की हिमाचल के मंदिरों पर चल रही रिसर्च में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि चंबा के लक्ष्मी नारायण मंदिर ने अदि अनादि काल से ना जाने कितने भूकंप के खतरनाक झटके झेले हैं, जिसे कई शहरों और यहां तक के चंबा को भी पूरा तबाह कर दिया लेकिन लक्ष्मी नारायण मंदिर वैसे ही मौजूद है।
वैज्ञानिकों को मंदिर पर रिसर्च करने के बाद ऐसे पहलुओं से भी पर्दा उठाने में काफी मदद मिली है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि आखिरकार हिमालय में कितने भयानक भूकंप अब तक आए हैं। मंदिर की खासियत है कि यह एक तरफ झुका हुआ है। मंदिर आखिरकार एक तरफ झुका क्यों है, इस पर भी वैज्ञानिकों ने रिसर्च किया।
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन भूकंपो ने भारत के अनेक राज्य के साथ-साथ हिमाचल के कई शहर और गांव तबाह कर दिए, वो भूकंप इस तिरछे मंदिर को छू भी नहीं सके हैं। साल 1905 में हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप से लेकर छोटे-बड़े लगभग 100 से भी ज्यादा भूकंप यह मंदिर झेल चुका है।
क्यों तिरछा है यह मंदिर
चंबा का ऐतिहासिक और पौराणिक लक्ष्मी नारायण मंदिर जिस काल में बना उस दौरान उसके निर्माण का जो तरीका अपनाया गया, उसके चलते ही वो कई भूकंप झेलने के बावजूद आज भी सुरक्षित है।
वैज्ञानिकों को ऐसे कई राज इस मंदिर में रिसर्च के दौरान मालूम हुए हैं, जिससे यह बता लगाया जा रहा है कि अब तक भारत में कितने खतरनाक और विनाशकारी भूकंप आये हैं। लक्ष्मी नारायण मंदिर को लेकर वैज्ञानिक कहते हैं कि फिलहाल मंदिर भले ही कुछ तिरछा हो, लेकिन मंदिर को कोई खतरा नहीं है।
वैज्ञानिकों मंदिर अभी भी हजारों साल तक यूं ही रह सकता है। उनके अनुसार जिस काल में भी मंदिर बना होगा, उसको बड़ी तकनीक से बनाया गया होगा।
भारत सरकार के कई संस्थान मंदिर की देख-रेख कर रहे हैं । वैज्ञानिक मानते है कि इतने भूकंपों के बाद भी मंदिर सुरक्षित है तो इसकी एक वजह है।
मंदिर मात्र पत्थर से बना है और उस समय जिसने भी इस मंदिर को बनाया, उसकी कारीगरी का कोई जवाब नहीं। रिसर्च में अनेको चमत्कार देख चुके वैज्ञानिक हालांकि इसे चमत्कार नहीं मानते हैं।
उनका कहना है कि उन्होंने वैज्ञानिक ढंग से इस मंदिर पर काम किया है। आस्था अपनी जगह है, लेकिन ये भी बात सही है कि परमात्मा के अस्तित्व से कोई इनकार नहीं कर सकता। आस्था अपना काम जरुर करती है।
लक्ष्मीनारायण मंदिर को 10वीं सदी में राजा साहिल वर्मन ने बनवाया था। मंदिर को स्थानीय मौसम को देखते हुए लकड़ी के इस्तेमाल से तोरण द्वार और शिखर बनवाए गए थे।