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पति ने साइकिल पर लगाया पोस्‍टर...और मिल गई 9 महीने से खोई हुई पत्‍नी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 16 2016 3:05PM | Updated Date: Nov 16 2016 3:05PM
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मेरठ। कहते हैं खोजने पर तो भगवान भी मिल जाता है, इंसान क्या चीज है। कुछ ऐसा ही हुआ मेरठ के रहने वाले तपेश्वर सिंह के साथ। आखिरकार नौ महीनों की मेहनत के बाद में उन्होंने अपनी खोई हुई पत्नी बबीता को ढूंढ ही निकाला। 
 
ब्रजघाट में हुई थी मुलाकात
मामला करीब 9 महीने पुराना है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले तपेश्वर सिंह यूपी के मेरठ में मजदूरी कर अपना गुजर-बसर करते थे। माता-पिता की मौत हो चुकी थी और सगे-संबंधियों के नाम पर कोई था नहीं। करीब 3 साल पहले तपेश्वर को यूपी के ब्रजघाट में ही बबीता एक धर्मशाला में मिली। पूछने पर पता चला कि बबीता को उसके परिजन छोड़कर चले गए हैं। तपेश्वर को ना जाने क्या सूझा और वो बबीता से शादी कर उसे घर ले आए।
 
किसी ने नहीं की मदद
लोगों ने कहा कि बबीता की दिमागी हालत ठीक नहीं है लेकिन तपेश्वर की मोहब्बत में कोई कमी नहीं आई। और एक दिन जब तपेश्वर काम से घर लौटे तो बबीता घर पर नहीं थी। लोगों ने उसे बताया कि मोहल्ले का ही एक दबंग बबीता को बहला-फुसलाकर ले गया है। तपेश्वर ने इसकी शिकायत पुलिस में की, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने बड़े अधिकारियों के भी चक्कर काटे लेकिर हर बार मायूसी ही हाथ लगी। इसके बाद तपेश्वर ने खुद ही बबीता को ढूंढ़ने की सोच ली।
 
...और निकल पड़े पत्‍नी को खोजने
तपेश्वर ने अपनी साइकिल उठाई और इसके हैंडव व पीछे की सीट पर दो पोस्टर लगाए। इनमें बबीता की तस्वीर के साथ लिखा था, 'गुमशुदा की तलाश', और तपेश्वर निकल पड़े अपनी पत्नी की तलाश में। तपेश्वर की जेब में जितने पैसे थे, उन्हीं पैसों से जब तक काम चला, वो चलाते रहे। कुछ लोगों ने खाना-पानी देकर मदद भी की। तपेश्वर घंटो साइकिल चलाते और लोगों से बबीता के बारे में पूछते। 
 
साइकिल से ही हल्द्वानी पहुंचे तपेश्वर 
पत्नी की तलाश में 9 महीने तक भटकने के बाद रविवार को ब्रजघाट में ही एक आदमी ने तपेश्वर को बताया कि उनसे बबीता जैसी एक महिला को हल्द्वानी में भीख मांगते हुए देखा है। बस फिर क्या था, तपेश्वर साइकिल से ही हल्द्वानी पहुंचे और दिन भर सड़कों पर भटकने के बाद आखिरकार सड़क किनारे, चिथड़े में लिपटी हुई उन्हें उनकी पत्नी बबीता मिल गई। 
 
तपेश्वर को नहीं हुआ अपनी आंखों पर भरोसा
तपेश्वर को पहले तो अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने अपनी आंखों को हाथों से रगड़ा। खुद को ये एहसास दिलाया कि ये उनकी बबीता ही है और फिर उसे अपने साथ घर लेकर आए। तपेश्वर इस समय बेहद खुश हैं। वो कहते हैं कि अब कुछ नहीं चाहिए। तपेश्वर बताते हैं, मैं जानता हूं कि बबीता की दिमागी हालत कुछ सही नहीं है लेकिन अगर मैंने उसे ऐसे ही छोड़ दिया तो लोग उसका फायदा उठाएंगे। मैं बस ये जानता हूं कि वो मेरे साथ सुरक्षित है।
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