हैदराबाद। 68 दिनों तक व्रत रखने वाली 13 वर्षीय जैन बालिका आराधना का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उसके निधन के बाद इस प्रथा के खिलाफ भी आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। आराधना सेंट फ्रांसिस स्कूल की कक्षा आठवीं की छात्रा थी। छात्रा की मौत को लेकर परिवार का दावा है कि 68 दिन के उपवास खोलने के बाद उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कर दिया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई। आराधना की अंतिम यात्रा में करीब 600 लोग शामिल हुए और उसे ‘बाल तपस्वी’ बताया।
आराधना के पिता की सिकंदराबाद के पोट बाजार में ज्वेलरी की दुकान है। बाल अधिकारों पर काम करने वाले एनजीओ बालाला हक्कुला संघम (बाल अधिकार संघ) की मांग पर पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस उपायुक्त (उत्तर क्षेत्र) बी. सुमति के अनुसार प्रारंभिक जांच के बाद मामला दायर किया जाएगा। फिलहाल जनरल डायरी में एक प्रविष्टि दर्ज की है।
उपवास के लिए परिवार ने बनाया दबाव: एनजीओ
एनजीओ ने शुक्रवार को हैदराबाद पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा था और लड़की की इस सप्ताह की शुरुआत में हुई मौत की जांच की मांग की थी। एनजीओ की अध्यक्ष अनुराधा राव ने आरोप लगाया कि लड़की की ‘संदिग्ध परिस्थितियों’ के तहत 3 अक्टूबर को मौत हुई। उन्होंने आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार के सदस्यों और समुदाय के अन्य वरिष्ठ लोगों ने उसे एक रिवाज के तहत 60 दिनों से अधिक समय के लिए उपवास करने को कहा। वह 64 दिनों से उपवास कर रही थी। एक अक्टूबर को यह खत्म हो गया। वह उपवास के बाद पिछले दो दिनों से तरल आहार पर थी।
संत ने कहा था, बेटी के उपवास से चलेगा धंधा
आराधना के पिता चेन्नई के एक संत को मानते हैं। संत ने कहा था कि अगर बेटी कुछ महीने का उपवास करेगी तो आपको ज्वैलरी के बिजनेस में फायदा होगा। इसके बाद आराधना ने व्रत रखा।
हत्या नहीं तो आत्महत्या तो जरूर है
जैन समुदाय की सदस्य लता जैन का कहना है कि यह एक रस्म सी हो गई है कि लोग खाना और पानी त्यागकर खुद को तकलीफ पहुंचाते हैं। ऐसा करने वालों को धार्मिक गुरु और समुदाय वाले काफी सम्मानित भी करते हैं। उन्हें तोहफे दिए जाते हैं। लेकिन इस मामले में तो आराधना नाबालिग थी। मुझे इसी बात पर आपत्ति है। अगर यह हत्या नहीं तो आत्महत्या तो जरूर है। लता के अलावा कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि आखिर क्यों लड़की को स्कूल छुड़वाकर व्रत करने के लिए बैठाया गया।
परिवार का दावा
परिवार का दावा है कि आराधना ने 68 दिन व्रत किया था। परिवार के करीबी लोगों ने बताया कि इससे पहले भी आराधना 41 दिन का उपवास कर चुकी थी। आराधना के दादा मानिकचंद के मुताबिक, हमने किसी से कुछ नहीं छिपाया। सभी जानते थे कि वह उपवास पर है। लोग आते थे और उसके साथ सेल्फी खिंचवाते थे। अब कुछ लोग अंगुलियां उठा रहे हैं कि हमने उसे 68 दिन का उपवास क्यों रख ने दिया।
पारणा के दिए थे विज्ञापन
उपवास खोलने के कार्यक्रम पारणा के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए गए। इसमें तेलंगाना के मंत्री पद्मराव गौड़ और जहीराबाद के सांसद बीबी पाटिल शामिल हुए थे।