गुड़गांव। सड़क के किनारे ठेला लगाकर छोले-कुल्चे बेचने वाली महिला की आर्थिक स्थिति के बारे में आप सोचेंगे कि वह निम्न मध्यम वर्ग या फिर शायद इससे भी नीचे की आर्थिक स्थिति से ताल्लुक रखती होगी। 34 साल की उर्वशी यादव आपकी यह सोच बदल देंगी।
गुड़गांव में उर्वशी का जो घर है उसकी कीमत 3 करोड़ है, उनके पास अपनी दो लक्झरी कार भी हैं। फिर भी वह अपने परिवार के लिए सड़क के किनारे रेहड़ी पर छोले-कुल्चे और परांठे बेचती हैं। उर्वशी बताती हैं, आज की तारीख में हमारी आर्थिक स्थिति खराब नहीं है, लेकिन मैं भविष्य का जोखिम नहीं ले सकती। खराब वक्त आने का इंतजार करने से बेहतर है कि मैं आज से ही ऐसी परिस्थिति को संभालने की योजना बनाऊं।
पति हादसे के बाद बिस्तर पर रहने को हैं मजबूर
दोपहर की तपाने वाली गर्मी हो या बरसात, उर्वशी अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपना काम बड़ी तल्लीनता से कर रही हैं। उर्वशी को यह काम शुरू किए 45 दिन हो गए हैं। कुछ समय पहले उनके पति दुर्घटना के शिकार हो गए थे। छह साल में उनके साथ हुआ यह दूसरा हादसा था। डॉक्टरों ने कहा कि उनके कूल्हे बदलने होंगे। इस हादसे के बाद पति के इलाज में लगने वाले खर्च और परिवार की जिम्मेदारियों में हाथ बंटाने के लिए उर्वशी ने कमाने की सोची और एक नर्सरी स्कूल में शिक्षिका का काम करने लगीं। इसके बाद उन्होंने ठेले
पर छोले-कुल्चे बेचने का काम किया।
फेसबुक ने दिलाई पहचान
फेसबुक पर सोल स्टिरिंग्स बाय सोनाली नाम के एक पेज पर उर्वशी के स्टॉल के बारे में पोस्ट आया। इसके बाद उनकी रेहड़ी काफी लोकप्रिय हो गई। उनके पास आने वाले ग्राहकों की संख्या काफी बढ़ गई है। इस पोस्ट को 27,000 से ज्यादा लोग लाइक कर चुके हैं। इसे 9,000 से भी ज्यादा बार शेयर किया गया है। आज वह रोजाना 2,500 से 3,000 रुपये कमा लेती हैं और अपनी कमाई से खुश हैं।
थी बड़ी चुनौती
उर्वशी कहती हैं, हमेशा एयर कंडीशन में रहने वाली महिला के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। शुरू में परिवार के लोग मेरे इस फैसले के साथ नहीं थे। मुझे खाना बनाना तो आता था, लेकिन सड़क के किनारे ग्राहकों से निपटना मेरे लिए बड़ी चुनौती थी। खुद को मिल रहे समर्थन के बाद अब उर्वशी का आत्मविश्वास और बढ़ गया है। वह फूड ट्रक खरीदने और अपना रेस्तरां शुरू करने का सपना संजो रही हैं।