नई दिल्ली। बिहार स्थित नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया गया है। इस सूची में चीन, ईरान और माइक्रोनेशिया के तीन नए स्थलों को भी स्थान दिया गया है। तुर्की के इस्तांबुल में विश्व धरोहर समिति की 40वीं बैठक में चार नए स्थलों को शामिल किए जाने की घोषणा की गई।
भारत के संस्कृति मंत्रालय ने ट्वीट किया, 'बधाई.. नालंदा महाविहार का पुरातत्व स्थल अब विश्व धरोहर स्थल बना। धन्यवाद यूनेस्को, इरिना बोकोवा।' इरिना बोकोवा यूनेस्को की एशिया क्षेत्र की महानिदेशक हैं।
वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल होने से यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होगी। सैलानियों को मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था पहले की अपेक्षा अधिक चुस्त होगी। धरोहर के संरक्षण पर पहले से अधिक खर्च किये जाएंगे। कर्मियों की संख्या बढ़ेगी। साइट के कम से कम दो किलोमीटर दूरी को बफर जोन घोषित किया गया है। इसके विकास, सुरक्षा व संरक्षण की जिम्मेवारी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और बिहार सरकार की होगी।
नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों की खोज अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। पुरातात्विक और साहित्यिक साक्ष्यों के आधार पर माना जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ई के आसपास हुई थी। गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने इसकी स्थापना की थी। हर्षवर्द्धन ने भी इसको दान दिया था। हर्षवर्द्धन के बाद पाल शासकों ने भी इसे संरक्षण दिया। न केवल स्थानीय शासक वंशों, बल्कि विदेशी शासकों ने भी इसे दान दिया था।