सिडनी। ऑस्ट्रेलियाई आर्मी के बारे में एक ऐसी जानकारी मिली है जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे। दरअसल, यहां सेना में भर्ती होने के पहले ट्रेनिंग के दौरान किशोरों को एक-दूसरे से रेप करवाया जाता है। इस बात की जानकारी एक वेबसाइट में छपी खबर से हुई है। बताया जा रहा है कि इस आरोप के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई आर्मी के खिलाफ चाइल्ड सेक्स एब्यूज पर एक केस दायर किया गया है।
कैडेट्स ने बताया कि उन्हें एक दूसरे के साथ रेप करने के लिए मजबूर किया जाता था। इतना ही नहीं ट्रेनिंग की शुरुआत में प्राइवेट पार्ट्स पर शू पॉलिश लगाने को कहा जाता है। जिसे वे ब्लैकबॉलिंग के नाम से संबोधित करते थे। उनके सिरों को टॉयलेट्स में डालकर फ्लश चलाया जाता था जिसे रॉयल फ्लश’ कहते थे।
ऐसा बर्ताव करने वाले लोग इन हरकतों को ‘मर्द बनने का तरीका’ करार देते थे। एक पूर्व नेवी मेंबर ने बताया कि कई बार उसे रात में बिस्तर से उठाकर ले जाते और यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता। पुराने रंगरूट्स या बेस स्टाफ के आदेश के अनुसार ट्रेनिंग के दौरान ऐसी हरकतें की जाती थी जो बेहद शर्मनाक है।
एक अन्य कैडेट ने बताया कि, उसे एक दूसरे रंगरूट का प्राइवेट पार्ट मुंह में लेने को कहा गया। इसके अलावा उसे दूसरे जूनियर रिक्रूट के प्राइवेट पार्ट में मुंह लगाने के लिए मजबूर किया गया। कुछ अन्य मौकों पर मुझे जूनियर रिक्रूट्स के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया या फिर कुछ रंगरूटों ने मेरा रेप किया, क्योंकि पुराने रंगरूट्स या बेस स्टाफ ने ऐसा करने का आदेश दिया था।
ऑस्ट्रेलियाई आर्मी के खिलाफ दायर इस केस को लेकर दो सैन्य संस्थानों की जांच हो रही है। इन संस्थाओं के नाम वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया स्थित एचएमएएस लीउविन और विक्टोरिया स्टेट स्थित बाल्कोमम्बे स्कूल बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में जूनियर नवल भर्ती किए जाते हैं। वहीं विक्टोरिया में आर्मी स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है।
सुनवाई के दौरान बताया गया की आयोग ने ऑस्ट्रेलियाई आर्मी में बाल यौन शोषण को लेकर 111 लोगों के बयान लिए हैं। पीड़ितों ने इस बात कुछ सबूत भी पेश किये हैं। उन्होंने इस सबूतों के साथ उन्होंने अपनी आपबीती भी सुनाई। उन्होंने बताया कि किस तरह लीउविन में प्रशिक्षण के पहले छह माह उनके साथ यौन शोषण किया गया। पीड़ितों की आयु घटना के वक़्त 15-16 रही थी।