देवबंद। डाक विभाग की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जो चौकाने वाला है। पाकिस्तान के लाहौर से एक साप्ताहिक सामाचार पत्रिका 49 साल बाद देवबंद पहुंचा। जबकि सामाचार पत्रिका को पाकिस्तान में बंद हुए भी कई साल हो गए है। जब डाकिया द्वारा उक्त पत्रिका को दुकान मालिक को दिया गया, तो वह हैरान रह गया।
आमतौर पर सरकारी महकमों में कुछ न कुछ कारनामा होता है लेकिन इस बार जो कारनामा डाक विभाग ने किया वह आश्चर्यचकित करने वाला था। शनिवार को पाकिस्तान के लाहौर से प्रकाशित होने वाला एक साप्ताहिक पत्र दारुल उलूम क्षेत्र स्थित कुतुबखाना नइमिया पर डाकिया पहुंचा और उसने एक पत्रिका वहां मौजूद कुतुबखाना मालिक ख्वाजा अनस सिद्दीकी को थमा दी। पत्रिका देख वह हैरत में पड़ गए। पत्रिका 10 नवंबर वर्ष 1967 का छपा हुआ 257वां अंक है। उस समय में उसकी वार्षिक कीमत 11 रूपए और अर्धवार्षिक कीमत 6 रूपए थी।
उस पर लगाए गए डाक टिकट भी बेहद खुर्दबुर्द हालत में थे। उन्होंने बताया कि पत्रिका का नाम खुदामुद्दीन है। उनके पिता जी वह पत्रिका मंगाते थे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जब पाकिस्तान फोन किया गया तो पता चला कि पत्रिका बहुत साल पहले बंद हो चुकी है।