कोलकाता। मणिपुर के एक गांव में जंगली खट्टे फलों की एक दुर्लभ, स्थानिक और विलुप्तप्राय किस्म पाई गई है जो औषणीय तत्वों से युक्त होती है। अब तक इस फल के केवल मेघालय में होने की खबर थी। सेंटर फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर एंड कल्टीवेशन ऑफ साइंस (सीसीएनसीएस), मणिपुर के क्षेत्र जीवविज्ञानियों तथा अनुसंधानकर्ताओं ने खबर दी कि मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के दाईलोंग गांव में इस महीने के शुरू में ‘सिट्रस इंडिका’ नाम की किस्म का फल पाया गया है जिसे आम तौर पर भारतीय जंगली संतरा कहा जाता है।
अग्रणी अनुसंधानकर्ता एवं पर्यावरणविद आर.के. बीरजीत सिंह ने कहा कि फलों की इस प्रजाति को सर्वाधिक प्राचीन और विश्व में सभी खट्टे फलों का पूर्वज तथा पूर्वोत्तर भारत में स्थानिक माना जाता है। इससे पहले इस किस्म के केवल मेघालय के गारो हिल्स के ‘नोकरेक बायोस्फेयर रिजर्व’ में होने की खबर थी। स्थानीय ग्रामीण इस जंगली खट्टे फल को ‘बिउरेंगथाई’ कहते हैं और इसे औषधीय तत्वों से भरपूर माना जाता है।
जैव विविधता आकलन और अनुसंधान कार्यक्रम के बाद विशेषज्ञों की टीम ने मणिपुर जैव विविधता बोर्ड से दाईलोंग गांव को मणिुपर के महत्वपूर्ण जैव विविधता धरोहर स्थलों में से एक के रूप में घोषित करने के लिए कहा है ।