नई दिल्ली। अमीरों का देश से विदेशों में जाना आजकल आम बात हो गई है। बीते साल देश छोडक़र बाहर बसने वाले अमीरों में भारत का दुनिया में चौथा स्थान रहा। न्यू वर्ल्ड वेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2015 में 4000 करोड़पति भारतीयों ने दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण कर ली।
नागरिकता बदलने वाले करोड़पतियों में फ्रांस का पहला स्थान पर रहा, इस अवधि में फ्रांस के 10 हजार अमीरों ने दूसरे देश की नागरिकता ले ली। इस लिस्ट में चीन का तीसरा स्थान पर रहा। वहीं दूसरे देश से आकर बसने वालों की सूची में ऑस्ट्रेलिया पहले पायदान पर है, इस देश की नागरिकता लेने वाले अमीरों की संख्या 8 हजार रही।
रिपोर्ट में बताया गया है कि खासतौर पर चीन और भारत के लिए यह पलायन चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि जितना वे बाहर जा रहे हैं उससे ज्यादा यहां नए करोड़पति बन रहे हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि एक बार इन देशों में जीवन स्तर में सुधार हुआ तो बाहर गए अमीरों की वापसी की उम्मीद है।
देश बदलने वाले अमीरों में फ्रांस के बाद चीन का स्थान है जिसने इटली को पीछे छोड़ दिया। 2015 में जहां चीन के 9000 अमीरों ने दूसरे देश की नागरिकता ले ली तो छह हजार आंकड़े के साथ इटली का तीसरा स्थान रहा। रिपोर्ट में फ्रांस के बारे में बताया गया है कि यह धार्मिक तनाव से प्रभावित रहा है खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में ईसाईयों और मुस्लिमों के बीच तनाव देखा गया।
वहीं अगर अमीरों की पसंद वाले देश की बात करें तो इस सूची में आस्ट्रेलिया टॉप पर रहा, बीते साल यहां की नागरिकता ग्रहण करने वाले अमीरों की संख्या आठ हजार रही। इसके बाद अमेरिका रहा जहां की नागरिकता ग्रहण करने वाले अमीरों की संख्या 7000 रही। इस सूची में कनाडा तीसरे स्थान पर रहा जहां दाखिल होने वाले अमीरों की संख्या पांच हजार रही।
इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि साल 2015 के दौरान देश से करीब 2 प्रतिशत अमीरों ने दूसरे देशों कि ओर रुख किया है और देश का त्याग कर दिया है। जी हाँ, इस मामले में ही यह भी देखने को मिला है कि अपने देश को छोडक़र जो अमीर लोग दूसरे देशो में बस रहे है उनमे पहला नंबर ऑस्ट्रेलिया का है।