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भूलभुलैया जैसे घोंसले बनाने वाली चींटी की नई प्रजाति का पता चला

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 25 2016 4:34PM | Updated Date: Mar 25 2016 4:34PM
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कोलकाता। जीव विज्ञानियों के एक समूह ने जैव विविधता वाले पश्चिमी घाटों में चींटियों की एक नयी प्रजाति का पता लगाया है जो क्षैतिज दीर्घाओं की एक बड़ी भुलभुलैया जैसा घोंसला बनाती है। बेंगलूर स्थित अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट (एटीआरईई) ने एनोचेटस डेडलस नामक इस प्रजाति को हाल ही में कर्नाटक में खोजा है। ‘करेन्ट साइंस’ जर्नल में इस खोज के बारे में जानकारी दी गई है।
 
एटीआरईई के अनुसंधानकर्ता प्रियदर्शन धर्म राजन ने बताया ‘सिरसी के हेगाराने गांव में जंगलों से गुजरते हुए हमने मिट्टी का एक बड़ा ढांचा देखा। यह बिल्कुल भूलभुलैया वाला था। इसकी रचना जानने की उत्सकुता के चलते हमें उसे खोदा और उसकी क्षैतिज दीर्घाओं में कुछ चींटियों को चलते देखा।’ इस प्रजाति की चींटियों का जबड़ा आम चींटियों की तुलना में बड़ा है। उनके जबड़े चिमटी की तरह हैं। इन जबड़ों की सहायता से चींटी अपने शिकार को इतनी ताकत से दबाती है कि उसके टुकड़े हो जाते हैं।
 
एनोचेटस उस मांसभक्षी चींटी कुल में आती है जो दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में पाई जाती हैं। ये छोटे घर बनाती हैं और एक कालोनी में करीब 100 चींटियां रहती हैं। स्वभाव से ये चींटियां बेहद शर्मीली होती हैं। राजन के अनुसार, ये चींटियां श्रीलंका में 125 साल पहले पाई जाने वाली एनोचेटस नाइटनेरी प्रजाति की चींटियों से बहुत कुछ मिलती जुलती हैं।
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