न्यूयार्क। दक्षिण अफ्रीकी देश दक्षिण सूड़ान, जहां के सैनिकों को वेतन के रूप में दी जाती है महिलाओं और बच्चों के साथ दुष्कर्म करने की छूट। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह सनीसनीखेज खुलासा किया है कि दक्षिण सूड़ान के सरकार समर्थित सैनिकों को दुष्कर्म के अलावा कई तरह के दिल दहलाने वाले अमानवीय अत्याचार करने की पूरी छूट मिली हुई है।
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार शाखा ने रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह विपक्ष को समर्थन देने के संदेह में बच्चों और नि:शक्तजनों समेत आम नागरिकों को जिंदा जला दिया जाता है। माल लादने वाले कंटेनर के दमघोंटू वातावरण में बंद कर दिया जाता है, पेडों से लटका दिया जाता है और टुकड़े टुकड़े कर दिया जाता है।
इन बर्बर अत्याचारों से पता चलता है कि गृहयुद्ध झेल रहे इस देश में मानवाधिकार उल्लंघन की घटनाएं सबसे जघन्य और बदतर हैं। तेल के अकूत भंडार वाले दक्षिण सूडान के यूनिटी प्रांत में गत साल मात्र 5 माह में रेप के 1300 मामले दर्ज हुए। यह चौंकाने वाला आंकड़ा सिर्फ यूनिटी प्रांत का नहीं है, जहां हर दिन 8 महिलाओं और बच्चियों को रेप का शिकार होना पड़ता है बल्कि कमोबेश सभी प्रांतों में ऐसी ही भयावह स्थिति है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दक्षिण सूडान की सेना के साथ हमला करने वाले सशस्त्र लड़ाकू एक तरह मौखिक समझौते की तरह मानवाधिकार उल्लंघन करते हैं। इनके बीच मौखिक समझौता हैं कि जो चाहते हो करो और जो लूट सकते हो, लूटो। इसी छूट के चलते अधिकतर सैनिक वेतन के रूप में मवेशियों को लूटते हैं, निजी संपत्ति चुराते हैं, महिलाओं और बच्चियों को अगवा करते हैं और उनके साथ रेप करते हैं।
अध्ययन के दौरान उनके सामने एक मामला ऐसा भी आया, जहां सैनिक इस बात को लेकर झगड़ा कर रहे थे कि छह साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसे गोली मारी जाए या नहीं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दक्षिण सूडान की सेना के साथ हमला करने वाले सशस्त्र लड़ाकू एक तरह मौखिक समझौते की तरह मानवाधिकार उल्लंघन करते हैं। इनके बीच मौखिक समझौता है कि जो चाहते हो करो और जो लूट सकते हो, लूटो। इसी कारण अधिकतर सैनिक वेतन के रूप में मवेशियों को लूटते हैं, निजी संपत्ति चुराते हैं, महिलाओं और बच्चियों को अगवा करते हैं और उनके साथ बलात्कार करते हैं।
रिपोर्ट में उन अभिभावकों के बारे में बताया गया है, जिन्हें अपने बच्चों के साथ हो रहे दुष्कर्म को देखने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें चेतावनी दी गई कि संयुक्त राष्ट्र संरक्षित शिविरों में रहने वाली सभी महिलाएं और बच्चे खतरे में हैं। गत महीने पूर्वोत्तर मलाकल शहर संयुक्त राष्ट्र के एक ऐसे ही शिविर पर हमला करके कम से कम 18 लोगों की हत्या कर दी गई थी। देश में जारी हिंसक घटनाओं से भयभीत लगभग 600 लोग 'डॉक्टर विदआउट बॉर्डर' के अस्पतालों में शरण लिए हुए हैं।