रायसेन। गौ-पालन ने लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला दिया। यह मामला मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के इमलिया गौंडी गांव का है। एक तरफ जहां वे लोगों के रोजगार का जरिया बन गई है, वहीं गाय की सौगंध खाकर लोग नशा न करने का संकल्प भी ले रहे हैं।
इमलिया गौंडी गांव में पहुंचते ही ‘गौ संवर्धन गांव’ की छवि उभरने लगती है, क्योंकि यहां के लगभग हर घर में एक गाय है। इस गाय से जहां वे दूध हासिल करते हैं, वहीं गौमूत्र से औषधियों और कंडे (उपला) का निर्माण कर धन अर्जन कर रहे हैं। इस तरह गांव वालों को रोजगार भी मिला है।
भोपाल स्थित गायत्री शक्तिपीठ द्वारा इस गांव के जंगल में गौशाला स्थापित की गई है। इस गौशाला के जरिए उन परिवारों को गाय भी उपलबध कराई जा रही है, जिनके पास गाय नहीं है। अभी तक 150 परिवारों को गाय उपलब्ध कराई जा चुकी है।
इस गौशाला में हर रविवार को ग्रामीण क्षेत्र से लोग औषधि बनाना सीखने आते हैं। गौशाला प्रबंधन मुक्त में इन ग्रामीणों को 44 प्रकार की औषधियां बनाना सिखाता है। साथ ही गरीब किसानों को मुक्त में खाद और एक गाय भी दी जाती है।
गौशाला का संचालन करने वाले डॉ. शंकरलाल पाटीदार ने बताया कि यह गौशाला 22 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और यहां अलग-अलग प्रजाति की 350 से अधिक गाय मौजूद हैं। यहां आने वाले ग्रामीणों को गोबर और गौमूत्र से बनने वाली औषधियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इससे एक तरफ जहां गाय परिवार के लिए दूध देती है, वहीं गोबर और गौमूत्र के अर्क के साथ बनने वाली औषधियां आय का साधन भी बन रही हैं। साथ ही जैविक खाद को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।