वॉशिंगटन। लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक युवाओं में काफी लोकप्रिय है। आए दिन फेसबुक से कई रिश्ते बनते हैं। यहां तक कि फेसबुक के माध्यम से शादियां भी हो रही है, लेकिन एक स्टडी से पता चला है कि फेस-टू-फेस फ्रेंड, फेसबुक फ्रेंड से ज्यादा विश्वसनीय होता है। रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस नामक जर्नल में फेसबुक फ्रेंडशिप पर एक शोध पत्र छपा।
इस शोध पत्र में लिखा गया है कि किसी भी इंसान के मित्र की संख्या सीमित हो सकती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारा दिमाग एक निश्चित संख्या 100-200 लोगों की मित्रता को ही हैंडल कर सकता है। इसे सोशल ब्रेन हाइपोथिसिस के नाम से जाना जाता है। इस ग्रुप साइज के रिश्ते को बनाए रखने के लिए भी पर्याप्त समय की जरूरत होती है।
आमने-सामने बातचीत जरूरी
आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबिन डनबर द्वारा किए गए रिसर्च से पता चला कि मित्रता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर आमने-सामने बातचीत होना जरूरी है। 3000 युवकों के बीच किए गए इस रिसर्च के बारे में डनबर ने बताया कि सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग के कई सकारात्मक-नकारात्मक असर होते हैं।
युवा ज्यादा करते हैं इस्तेमाल
रिसर्च में यह भी पता चला है कि टीनएजर्स अपने मित्रता के दायरे को बढ़ाने के लिए अन्य नेटवर्किंग माध्यम वी चैट, इंस्टाग्राम जैसे माध्यमों से ज्यादा फेसबुक का इस्तेमाल करते है। हालांकि प्रोफेसर रॉबिन डनबर ने कहा कि सोशल मीडिया काफी हद तक हमारे रिश्ते को बनाए रखने में मदद करता है। प्रोफेसर डनबर ने कहा कि फेसबुक में अगर किसी के 1000 फ्रेंड्स हैं तो सिर्फ 15 बेस्ट फ्रेंड्स , 50 अच्छे फ्रेंड्स, 150 फ्रेंड्स और बाकि सिर्फ जान-पहचान की कैटेगरी में रखा जा सकता है।