पोर्ट ब्लेयर। स्थानीय पुलिस के मुखिया दीपेंद्र पाठक ने बताया कि शनिवार को नॉर्थ सेंटिनल द्वीप के लिए रवाना हुई टीम को उसी बीच पर कुछ आदिवासी लोग दिखाई दिए, जहां चाउ को आखिरी बार देखा गया। पाठक ने आगे बताया, बीच से 400 मीटर अंदर समुद्र में अपनी नाव में बैठे पुलिस के जवानों ने दूरबीन से देखा तो आदिवासी तीर-धनुष के साथ तैनात थे। टकराव की स्थिति देखते हुए टीम लौट आई। बता दें कि कहा जा रहा है कि चाउ आदिवासियों को ईसाई धर्म के बारे में कुछ बता रहे थे, इसी दौरान आदिवासियों ने उनकी हत्या कर दी थी।
पुलिस के मुताबिक, वह सेंटिनल द्वीप के लोगों से किसी भी तरह के टकराव से पूरी तरह से बच रही है। गौरतलब है कि काफी पुराना यह समुदाय इस द्वीप पर रहता है और किसी बाहरी का यहां प्रवेश वर्जित है। 17 नवंबर को चाउ की मौत के बाद यह समुदाय काफी चर्चा में आ गया। अभी तक इस समुदाय की भाषा और अन्य चीजें लोगों की समझ से बाहर हैं।
सेंटेनलीज आदिवासी समूह बहरी दुनिया के साथ कोई संपर्क नहीं रखता। अगर कोई बाहरी व्यक्ति इनके पास आता है तो ये तीरों की बौछार कर देता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक चिड़ियाटापू से नाव किराए पर लेने के बाद 16 नवंबर को चाउ आइलैंड के पास पहुंचा, जिसके बाद आगे का सफर उसने अपनी डोंगी से किया। इससे पहले 14 नवंबर को भी चाउ ने कोशिश की थी, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाया था।
वैज्ञानिकों की ले रहे मदद
17 नवंबर को चाउ की मौत के बाद अभी तक उनका शव बरामद नहीं हो सका है। चाउ को नॉर्थ सेंटिनल द्वीप तक ले जाने वाले मछुआरे का कहना है कि उसने देखा था कि आदिवासियों ने चाउ को बीच पर ही दफना दिया था। दीपेंद्र पाठक ने बताया कि 2006 में भी आदिवासियों ने दो मछुआरों की हत्या की थी, इसलिए उस केस की भी स्टडी की जा रही है। बताया गया कि वैज्ञानिकों की मदद से यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि ये लोग बाहरी लोगों पर हमला क्यों करते हैं? इस मामले में चाउ को द्वीप तक ले जाने वाले मछुआरे समेत अब तक कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।