हानोई। म्यांमार सरकार ने पिछले साल रोहिंग्या संकट में परोक्ष रूप से अपनी चूक मान ली है। देश की सर्वोच्च नेता आंग सांग सू की ने कहा कि इस मामले से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता था। बता दें कि पिछले साल अगस्त में कुछ रोहिंग्या उपद्रवियों ने सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया था। इसके बाद सेना द्वारा की गई कार्रवाई में रखाइन प्रांत से करीब सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ा था। इस संकट के दौरान सेना द्वारा किए गए कथित दुराचार को लेकर म्यांमार को विश्वभर में आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं।
दो हफ्ते पहले संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार टीम ने भी अपनी रिपोर्ट में नरसंहार के साथ अन्य अपराध करने वाले सेना के प्रमुख कमांडरों पर मुकदमा चलाए जाने की वकालत की थी। वियतनाम के हनोई में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की स्थानीय बैठक में हिस्सा लेने पहुंची सू की ने एक सवाल में कहा, 'मेरे ख्याल में ऐसे कई रास्ते थे जिससे रोहिंग्या संकट से बेहतर ढंग से निपटा जा सकता था।' उन्होंने म्यांमार की सेना का बचाव भी किया। उन्होंने कहा कि रखाइन राज्य के सभी लोगों की सुरक्षा महत्वपूर्ण थी। हम किसी एक का चुनाव नहीं कर सकते थे।
सू की ने पत्रकारों को मिली सजा का किया बचावसू की ने रायटर न्यूज एजेंसी के दो पत्रकारों को मिली सात साल जेल की सजा का बचाव किया है। दोनों पत्रकार 10 रोहिंग्या युवकों की हत्या की जांच की रिपोर्टिग कर रहे थे। उन्हें आॅफिशियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। सू की ने कहा, उन्हें पत्रकार होने के कारण सजा नहीं मिली है। वे देश का कानून तोड़ने के दोषी थे। उनको मिली सजा का संबंध अभिव्यक्ति की आजादी से नहीं है। वह सजा के खिलाफ अपील करने के लिए मुक्त हैं।