रियाद। महिला कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग को लेकर कनाडा के साथ रिश्तों में तनाव के बाद अब सऊदी अरब पहली महिला ऐक्टिविस्ट को मौत की सजा देने की तैयारी कर रहा है। ऐक्टिविस्ट को सिर कलम कर मौत के घाट उतारा जाएगा। 29 साल की इसरा अल-घोमघम को उनके पति मूसा अल-हाशीम के साथ दिसंबर 2015 में गिरफ्तार किया गया था।
इन दोनों पर पूर्वी कातिफ प्रांत में अरब क्रांति के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप था। इसी महीने, रियाद की विशेष आपराधिक अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने इसरा और 5 अन्य अभियुक्तों के आतंक-विरोधी कानून के तहत सिर कलम करने की मांग की थी। कार्यकर्ता अब इस फैसले के खिलाफ अपील कर चुके हैं, जिस पर अक्टूबर में फैसला लिया जाएगा।
अगर, मौत की सजा बरकरार रही तो इसे किंग सलमान के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जो अमूमन हर मौत की सजा पर मुहर लगाते आए हैं। जर्मनी स्थित यूरोपीयन सऊदी आॅर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ईएसओएचआर) के मुताबिक, घोमघम एक जानी-मानी कार्यकर्ता हैं।
शिया विरोधी सरकार के भेदभाव को खत्म करने की मांग
घोघनम को राजनीतिक कैदियों की रिहाई और शिया विरोधी सरकार के भेदभाव को खत्म करने की मांग के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, सऊदी अधिकारियों ने इस खबर पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं दी है। घोमघम के केस पर हाल के हफ्तों में चर्चा तब तेज हुई जब अरबी मीडिया और सोशल मीडिया नेटवर्कों पर उनकी मौत की सजा की खबरें शेयर हुईं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सऊदी अरब में इसी साल मई से महिला कार्यकर्ताओं पर हो रही कार्रवाई की आलोचना की गई थी, जिसके तहत दर्जन भर लोगों को बिना किसी आरोप हिरासत में ले लिया गया।