दुबई। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खमनेई ने देश में वित्तीय भ्रष्टाचार के दोषियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई करने का आह्वान किया है। ईरान के सरकारी टेलीविजन चैनल ने इस बात की जानकारी दी। खमनेई ने कहा कि अदालतों का उद्देश्य वित्तीय भ्रष्टाचार के दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा देना होना चाहिए।
ईरान की न्यायपालिका के प्रमुख अयातुल्ला सादिक अमोली लारीजानी ने खमनेई को एक पत्र लिखकर कहा कि देश में आर्थिक युद्ध जैसे हालात हैं। बढ़ती हुयी कीमतों और कथित वित्तीय भ्रष्टाचार को लेकर जनता के बीच व्याप्त रोष के मद्देनजर ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लारीजानी ने अपने पत्र में कहा कि ईरान की वर्तमान वित्तीय स्थिति आर्थिक युद्ध जैसे हालात के समान है। भ्रष्टाचार के मामलों से जल्द से जल्द निपटा जाए इसके लिए उन्होंने खमनेई से विशेष अदालतों का गठन करने की भी मांग की।
ईरान की मुद्रा रियाल में गिरावट जारी
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के कारण ईरान की मुद्रा रियाल में अप्रैल माह से ही लगातार गिरावट देखी जा रही है। अपनी बचत की रक्षा करने के लिए ईरानी लोगों के बीच डॉलर की मांग काफी बढ़ गयी है। बढ़ी हुयी कीमतों के अलावा मुनाफाखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर सरकार के विरोध में नारेबाजी कर रहे हैं। ईरान के केन्द्रीय बैंक और न्यायपालिका ने मुद्रा में लगातार गिरावट के लिए कथित दुश्मनों को जिम्मेदार ठहराया है। न्यायपालिका के मुताबिक केन्द्रीय बैंक के एक पूर्व अधिकारी समेत 40 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। न्यायपालिका ने देश में बढ़ती हुयी अशांति को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका और इजरायल के अलावा अपने चिरप्रतिद्वंदी सऊदी अरब को जिम्मेदार ठहराया है।
अमेरिकी प्रतिबंधों से व्यापार प्रभावित
अमेरिका के ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तल्ख हुए हैं। मई में ट्रम्प ने इस अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक ईरान पर नये प्रतिबंध लगाये जाने के कारण उसका सोने तथा अन्य महत्वपूर्ण धातुओं के अलावा ग्रेफाइट, एल्यूमीनियम, स्टील और कोयले से संबंधित व्यापार भी प्रभावित होगा। अमेरिकी प्रतिबंधों का असर ईरान की ओद्यौगिक प्रक्रियाओं में काम आने वाले सॉफ्टवेयर पर भी होगा। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।