इस्लामाबाद। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के साथ एक दशक से भी अधिक समय से कायम द्विपक्षीय संबंधों के तहत सैन्य प्रशिक्षण और शैक्षणिक अभियानों से वहां के अधिकारियों को धीरे-धीरे हटाना शुरू कर दिया है। इस वर्ष की शुरुआत में ही ट्रम्प ने कहा था कि पाकिस्तान से मदद के बदले धोखा और झूठ मिला है और इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
अमेरिका की इस कार्रवाई को इसी वर्ष अमेरिकी सरकार द्वारा इस्लामिक आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान को विवश करने के लिए अमेरिकी सुरक्षा सहायता बंद किये जाने संबंधी निर्णय के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन और पाकिस्तानी सेना ने अमेरिका के इस कदम पर प्रत्यक्षत: टिप्पणी करने से इंकार किया है, हालांकि दोनों देशों के अधिकारियों ने निजी तौर पर इसकी आलोचना की है।
अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा कि वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इस कदम से विश्वास की नींव कमजोर हो सकती है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि वे अपनी सेना को सैन्य प्रशिक्षण के लिए चीन अथवा रूस भेज सकता है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि अमेरिकी सरकार के अंतरराष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम से पाकिस्तान के निलंबन से वहां के 66 अधिकारी प्रभावित होंगे। इनके स्थान पर अन्य देशों के अधिकारियों को रखा जायेगा अथवा रिक्त रखा जायेगा।