कुराशिकी। जापान के पश्चिमी हिस्सों में 36 वर्ष के बाद पहली बार आई भीषण बाढ़ और वर्षाजनित घटनाओं के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर लगभग 200 हो गई है तथा तेज गर्मी और पानी की किल्लत के कारण बीमारियों के फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। सरकार ने गुरुवार को बताया कि देश में मूसलाधार बारिश और भूस्खलन जैसी घटनाओं के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 195 हो गई है और बड़ी संख्या में लोेग अब भी लापता हैं।
बारिश थमने के बाद भी लोगों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। एक सप्ताह से 200000 से अधिक मकानों में पानी की आपूर्ति नहीं हुई है। देश में 1982 के बाद पहली बार मौसम संबंधी इतनी बड़ी आपदा आई है। बारिश की तीव्रता में कमी आई है और बाढ़ का पानी उतरने भी लगा है लेकिन इससे सड़कों पर कीचड़ जमा हो गया है। कुछ जगहों पर कीचड़ सूख गया है लेकिन जब राहत वाहन वहां से गुजरते हैं तो धूल का गुबार उठता है। राहत तथा बचाव दल मलबे में लोगों की तलाश कर रहे हैं।
तापमान के 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने और आर्द्रता का स्तर बहुत अधिक होने के कारण अस्थायी शिविरों में शरण लिये लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शिविरों में क्षमता से अधिक लोगों के रहने और बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण लोग बेहाल हैं। पानी की कमी के कारण लोगों को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं मिल पा रहा जिससे उन्हें लू लगने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
लोग अपने हाथ भी ठीक से नहीं धो पा रहे हैं जिससे महामारी फैलने की आशंका बढ़ गयी है।
सरकार ने आपदा प्रभावित इलाकों में पानी के टैंकर भेजे हैं लेकिन उन से भी सीमित मात्रा में आपूर्ति की जा रही है। सेना और पुलिस के जवान तथा अग्निशमन विभाग के 70 हजार से अधिक कर्मचारी मलबे में लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। बाढ़ के कारण लाखों मकानों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गयी थी जिनमें से 3500 घरों में बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गयी है लेकिन दो लाख से अधिक मकानों में पेयजल की आपूर्ति अब भी बाधित है।