दुबई। सऊदी अरब में इस साल की तिमाही में बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़कर 12.9 फीसदी पर पहुंच गया है। बेरोजगारी के संकट से जूझ रहे सऊदी अरब में प्राइवेट कर्मचारी के लिए नए टैक्स नियम और घरेलू ईंधन के दामों में बढ़ोत्तरी से मुसीबतें बढ़ गई हैं। सरकार के रिफॉर्म यहां के लोगों के लिए कठिनाई पैदा कर रहे हैं। वहीं तेल निर्यात में अर्थव्यवस्था के प्रति लोगों का विश्वास घटा है।
सरकार के रिफॉर्म का उद्देश्य गैर तेल उद्योग विकसित करने और नौकरी पैदा करना है, लेकिन इससे राजकोषीय घाटे को मजबूत करना सरकार के लिए चुनौती बन गया है। ऐसे में सरकार की ओर से वर्ष 2018 के शुरूआत में 5 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाया गया, जिसकी वजह से कई निजी कंपनियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इससे पहले एक तिमाही में बेरोजगारी का रिकॉर्ड आंकड़ा वर्ष 1999 में रहा था, अब यही आंकड़ा बढ़कर 12.8 फीसदी तक पहुंच गया। सऊदी में स्थानीय लोगों को नौकरियों में तरजीह दी जा रही है। वहीं, सऊदी महिलाएं भी श्रम योगदान देकर अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही हैं। साथ ही सरकार के आर्थिक बोझ को कम करने का काम कर रही हैं।
हालिया आंकडें इस क्षेत्र में कुछ वृद्धि दशार्ते हैं। जबकि पहली तिमाही में सऊदी अरब में नौकरी देने वालों में 1.07 मिलियन दर्ज की, जो कि इससे पहले 1.09 मिलियन रही थी। जबकि रोजगार में कमी दर्ज की गई। रोजगार के मारामारी के बीच हजारों विदेशी कामगारों को सऊदी अरब से बाहर भेजा जा रहा है। ऐसा खराब अर्थव्यवस्था और फीस में बढ़ोत्तरी की वजह से किया जा रहा है।
सऊदी अरब की जीडीपी वर्ष 2018 की पहली तिमाही में महंगाई दर 1.2 फीसदी हो गई। अर्थव्यवस्था में वर्ष 2017 में गिरावट के बाद इसमें सुधार देखा गया। लेकिन अर्थशास्त्रियों की मानें तो सऊदी अरब में अभी कुछ दिनों तक बेरोजगारी की समस्या जारी रहेगी।