काठमांडो। तिब्बत में कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा से लौटते समय फंसे तीर्थयात्रियों को बचाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। बुधवार को करीब 100 भारतीय श्रद्धालुओं को बचाया गया। भारतीय दूतावास ने बताया कि पांच वाणिज्यिक विमान और नेपाल सेना का एक हेलीकॉप्टर बुधवार को बचाव अभियान में शामिल हुए और नेपालगंज में खराब मौसम के कारण 96 भारतीय श्रद्धालुओं को सिमीकोट से सुरखेत लेकर पहुंचे। हिल्सा - सिमीकोट मार्ग पर नेपाल सेना के तीन हेलीकॉप्टरों ने उड़ान भरी। दूतावास ने मंगलवार को बताया था कि 1500 तीर्थयात्रियों में से करीब 250 को सोमवार को हिल्सा से सुरक्षित निकाला गया। दूतावास के मुताबिक, हिल्सा में ढांचागत सुविधाएं नहीं है जबकि सिमीकोट में यात्रियों को उतारने, संचार और चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं।
दूतावास ने बताया कि कुल 158 लोगों को सिमीकोट से निकालकर नेपालगंज लाया गया। नेपालगंज आधुनिक सुविधाओं से लैस बड़ा शहर है और सड़क मार्ग से वहां से लखनऊ तीन घंटे में पहुंचा जा सकता है। दूतावास ने तीर्थयात्रियों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए पहले ही हॉटलाइन बना दी है जिसमें तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषी कर्मचारी भी हैं। भारतीय दूतावास ने बताया कि सोमवार को सिमीकोट में अत्यधिक ऊंचाई में आॅक्जीजन की कमी से केरल की 56 वर्षीय लीला नारायणन मंद्रीदथ और तिब्बत में दिल के दौरे से आंध्र प्रदेश की सत्या लक्ष्मी की मौत हो गई। उनके शव विशेष हेलीकॉप्टरों से काठमांडो और नेपालगंज लाए गए।