इस्लामाबाद। पाकिस्तान में जहां पूर्व शासकों परवेज मुशर्रफ और शाहिद खाकन अब्बासी को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है, वहीं कट्टरपंथियों के लिए राह आसान की जा रही है। 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव से पहले कट्टरपंथी सुन्नी नेता मुहम्मद अहमद लुधियानवी को आतंकी निगरानी सूची से बाहर कर दिया गया है।
अब चुनाव आयोग इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या लुधियानवी के संगठन अहले-सुन्नत वल जमात को उम्मीदवार उतारने की इजाजत दी जा सकती है? अहले-सुन्नत वल जमात पाकिस्तान की अल्पसंख्यक शिया आबादी के खिलाफ हिंसक घटनाओं में शामिल रहा है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा कट्टरपंथी संगठन माना जाता है।
इसकी साठगांठ पाकिस्तानी पंजाब में सक्रिय लश्कर-ए-झांगवी से है, जो जिसका करीबी रिश्ता अल-कायदा से रहा है।इस समय पाकिस्तान में कार्यवाहक सरकार है और लुधियानवी को आतंकी निगरानी सूची से बाहर करने का फैसला किसने लिया है, फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है। राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी प्राधिकरण द्वारा 14 जून को जारी आदेश में कहा गया है कि लुधियानवी का नाम आतंकी निगरानी सूची से बाहर किया जा रहा है और उसके सीज खातों को चालू किया जा रहा है।
हालांकि, प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला पंजाब सरकार की सिफारिश के आधार पर लिया गया है। अहले-सुन्नत ने कई सीटों पर अपने संगठन का नाम बदलकर उम्मीदवार खड़े किए हैं, लेकिन आतंकी निगरानी सूची में उसका नाम शामिल होने के चलते उसके उम्मीदवारों को चुनौती दी जा रही है।