लासगो। योग भले ही भारतीय सनातन परम्परा का हिस्सा रहा हो, लेकिन हाल के वर्षों में इसने सात समन्दर पार भी अपनी पूर्ण पहचान बना ली है। ग्लासगो के योग शिविर को देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है। ब्रिटेन के तीसरे सबसे अधिक आबादी वाले शहर ग्लासगे में चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की कड़ी के रूप में आयोजित योग शिविर में जिस संख्या में 'गोरों' ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उससे योग के प्रति पश्चिमी देशों में उसकी बढ़ती हैसियत का अंदाजा लगता है।
स्कॉटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लासगो के 'अमीरात एरिना' स्टेडियम में आयोजित योग शिविर में योग गुरु स्वामी रामदेव से 'योग दीक्षा' लेने आए 1000 लोगों में 60 से 70 प्रतिशत अनुयायी ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी देशों के नागरिक थे। पतंजलि योग पीठ ट्रस्ट, ब्रिटेन और भारतीय उच्चायोग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अंतिम चरण में ग्लासगो में शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें एडिनबर्ग स्थित भारतीय वाणिज्य दूत अंजू रंजन के अलावा ग्लासगो सिटी काउंसिल की काउंसलर रियानॉन स्पीयर ने स्वामी रामदेव के साथ मंच पर ही योगासन एवं प्राणायाम किए।
इसी अभियान के तहत पहले योग शिविर का आयोजन लंदन के ओलम्पिया वेस्ट स्टेडियम में और दूसरे का बर्मिंघम के कोवेण्ट्री स्थित मार्बल एरेना स्टेडियम में किया गया, जिनमें क्रमश: ओलम्पिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेन्दर सिंह और बर्मिंघम में भारत के वाणिज्य दूत डॉ. अमन पुरी ने मंच पर स्वामी रामदेव के साथ योगाभ्यास किया था। स्कॉटिश नेशनल पार्टी की काउंसल रियानॉन स्पीयर ने योगाभ्यास के बाद यूनीवार्ता से विशेष बातचीत में कहा कि वह पिछले तीन साल से योगाभ्यास कर रही हैं और उनके अंदर अद्भुत जीवन का संचार हुआ।