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US से किए वादे पूरे करने के लिए किम के पास 2020 तक का समय!

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 27 2018 10:59AM | Updated Date: Jun 27 2018 11:00AM
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नई दिल्ली। सिंगापुर वार्ता के बाद अमेरिका और उत्तर कोरिया के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है। यही वजह है कि उत्तर कोरिया ने इस बार अमेरिका के खिलाफ होने वाली सालाना रैली को रद्द कर दिया है। हर वर्ष इस रैली में अमेरिका को जमकर खरी-खोटी सुनाई जाती रही है। यह भी दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने में महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकता है। 
 
वहीं दूसरी ओर अमेरिका की तरफ से भी इस मामले में कुछ लचीला रुख अपनाते कहा गया है वह अपनी तरफ से परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए कोई समय सीमा तय नहीं कर रहा है। ट्रंप प्रशासन के विदेश मंत्री माइक पोंपियों का कहना है कि अमेरिका उत्तर कोरिया पर पूरी नजरें बनाए हुए है कि वह वार्ता को सफल साबित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है। 
 
इसके अलावा अमेरिका यह भी देखना चाहता है कि परमाणु हथियार खत्म करने को लेकर वह कितना गंभीर है। सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि वह ट्रंप प्रशासन के अंत तक उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार मुक्त देश देखना चाहते हैं। आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कार्यकाल 2020 में खत्म होगा। माइक का साफतौर पर कहना है अमेरिका इसके लिए उत्तर कोरिया को एक माह या छह माह का समय नहीं दे रहा है। अमेरिका रिश्तों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। 
 
यही वजह थी कि ट्रंप ने दक्षिण कोरिया संग होने वाले युद्धाभ्यास को भी रद कर दिया था। उनका कहना है कि हाईलेवल वार गेम्स से बेहतर है कि रिश्तों पर जमी धूल को साफ कर आगे बढ़ा जाए और विश्वास बहाली के लिए काम किया जाए। गौरतलब है कि पोंपियो अमेरिका के उन लोगों में से हैं जो सीआईए डायरेक्टर और एक विदेश मंत्री की हैसियत से प्योंगयोंग की यात्रा कर चुके हैं। उनका कहना है कि दोनों ही बार उन्होंने अमेरिका की मंशा को खुलकर किम के सामने बयां किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि ट्रंप ने सिंगापुर वार्ता में उत्तर कोरियाई लोगों की सुरक्षा और उसके विकास को लेकर वादा किया है। अमेरिका इस पर ही आगे काम करेगा।
 
रिश्तों में बेहतरी के लिए काम
अब अमेरिका के खिलाफ होने वाली सालाना रैली को रद कर किम ने फिर रिश्तों में बेहतरी की तरफ कदम बढ़ाया है। गौरतलब है कि कोरियाई युद्ध शुरू होने की बरसी पर उत्तर कोरिया हर साल 'अमेरिकी साम्राज्यवाद' के खिलाफ रैली का आयोजन करता रहा है। इस मौके पर वह अमेरिका के खिलाफ डाक टिकट भी जारी करता रहा है। मुट्ठी लहराते हुए और झंडे लेकर लोगों की भीड़ अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी करती रहती थी। पिछले साल भी प्योंगयांग में किम-2 सुंग चौराहे पर बड़ी रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें एक लाख लोग शामिल हुए थे।
 
कोरियाई प्रायद्वीप में सहमति
रिश्तों में सुधार की कवायद सिर्फ अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच ही नहीं हो रही है बल्कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच भी हो रही है। दोनों कोरियाई देश अपने सैनिकों के बीच सीधी संचार सेवा बहाल करने के लिए सहमत हो गए हैं। सियोल में उत्तर कोरियाई कर्नल ओम चांग नाम और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष चो यंग गुन के बीच बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया। उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव घटाने और विश्वास बढ़ाने का इसे एक और प्रयास माना जा रहा है। पूर्वी और पश्चिमी संचार लाइनों को पूरी तरह बहाल करने के तौर-
तरीकों पर आगे बातचीत जारी रहेगी।
 
एक दूसरे को सम्मान
यहां पर आपको बता दें कि दोनों देश सिंगापुर वार्ता के बाद से एक दूसरे को न सिर्फ सम्मान दे रहे हैं बल्कि बेहतरी के लिए काम करते दिखाई दे रहे हैं। किम जोंग उन ने भी इसी श्रंख्ला में कोरियाई युद्ध में मारे गए 200 सैनिकों से जुड़े हुए सामान को वापस करने का फैसला किया है। किम का यह कदम भावनात्मक रूप से भी अमेरिका पर असर डालेगा। आपको बता दें कि सिंगापुर वार्ता से पहले किम ने बंधक बनाए गए दो अमेरिकियों को भी रिहा कर रिश्तों को सुधारने में एक सकारात्मक पहल की थी।
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