इस्लामाबाद। मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने पाकिस्तान की सत्ता में काबिज होना चाहता है। जिसके चलत उसने जुलाई में होने वाले चुनावों से किनारा तो कर लिया है, लेकिन उसकी एमएमएल पार्टी इस बार भी चुनावी मैदान में उतरेगी। हालांकि पाकिस्तान के चुनाव आयोग की चार सदस्यीय टीम ने एमएमएल राजनीतिक पार्टी के रूप में पंजीकृत करने की अर्जी को खारिज कर दिया है, लेकिन हाफिज इसके बावजूद भी चुनाव आयोग के इस फैसले को नजरअंदाज कर चुनाव की तैयारी कर रहा है।
एमएमएल के नेताओं का कहना है कि आयोग के इस फैसले के बाद एमएमएल ने यह घोषणा की है कि यदि चुनाव से पहले उच्च न्यायालय ने आयोग के पक्ष में फैसला नहीं सुनाया तब पार्टी चुनाव में हिस्सा लेगी। आयोग ने पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया है।
आयोग का तर्क है कि एमएमएल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आतंकी हाफिज सईद की विचारधारा का अनुसरण करता है। इसलिए इस पार्टी को मान्यता नहीं प्रदान की जा सकती। उधर, गृह मंत्रालय ने कहा है कि एमएमएल देश में प्रतिबंधित जेयूडी की ही एक शाखा है, जिसे मंजूरी नहीं दी जा सकती है।
वहीं आयोग के इस फैसले के बाद एमएमएल ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसका लश्कर या जेयूडी से किसी तरह को कोई ताल्लुक नहीं है। पार्टी ने साफ किया है कि उसका किसी आतंकी संगठन या उनके विधारधारा से कोई लेनादेना नहीं है। पार्टी का आरोप है कि आयोग ने दबाव में आकर यह फैसला सुनाया है।