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संजय दत्त के गोद लेने से चमकेगी ननिहाल चिलबिला की तस्वीर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 12 2018 4:56PM | Updated Date: Jun 12 2018 4:56PM
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इलाहाबाद। बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त के अपने ननिहाल के गांव चिलबिला को गोद लेने की इच्छा जताने से स्थानीय ग्रामीण भाव-विभोर हो गये। संजय भले ही अपनी नानी के गांव उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद की मेजा तहसील के उरवा ब्लॉक के चिलबिला कभी न आए हों लेकिन, उन्हें अपनी नानी जद्दन बाई का गांव याद है। उन्होंने शनिवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर चिलबिला को गोद लेने की इच्छा जताई तो गांव वाले निहाल हो गए। गांव में मस्तान साहब की मजार पर जद्दन बाई का जाना, संजय दत्त के पिता सुनील दत्त के प्रयास से गांव में बना अस्पताल, मुहर्रम पर संजय दत्त की मां नरगिस दत्त का गांव आते रहना रविवार को चिलबिला में हर जुबां पर चर्चा में आ गया।
मुख्यालय से 42 किलोमीटर दूर चिलबिला से जद्दनबाई का गहरा नाता रहा है। ब्रितानी हुकूमत के दौरान चिलबिला गांव नृत्य कला एवं मनोरंजन का बड़ा केंद्र था। यहां रहने वाले सारंगी मियां नृत्य कला के एक बड़े प्रशिक्षक थे। जद्दनबाई के बचपन का नाम दलीपा था, वह बचपन में अपने परिवार को छोड़ नृत्यकला सीखने सारंगी मियां के पास आ गई थीं। बाद में सारंगी मियां ने उन्हें गोद ले लिया था। आगे चलकर वह बड़ी नृत्यांगना बनीं और मुंबई पहुंच गईं। उनकी बेटी नरगिस फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री रहीं। अभिनेता सुनील दत्त से विवाह होने के बाद भी नरगिस कई साल तक मुहर्रम पर चिलबिला आती थीं और अपने मकान में रहती थीं।
गांव के पूर्व प्रधान एवं संजय दत्त के फुफेरे भाई इसरार अली उर्फ गुड्डू भाई ने टेलीफोन पर हुई बातचीत में बताया कि जब गांव के लोगों को पता चला कि संजय दत्त लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर चिलबिला गांव को गोद लेंगे तो गांव के लोग आह्लादित हो उठे। उन्होनें ने भी यह महसूस किया कि चिलबिला का चतुष्कोणीय विकास होगा।
---फिर चमकेगी 'नरगिस की पक्की'
पहले चिलबिला के नाम से मेजा जाना जाता था लेकिन दुर्दिन है कि मेजा में अब चिलबिला का नाम बुझ गया है। अपने जमाने में चिलबिला में राजा-महराजा, रईश आते जाते थे। जहां की सारी खुशियां बरसती थीं। जब से चिलबिला से गायन-वादन, नृत्य समाप्त हुआ लोगों को परिवार का गुजर बसर करने के लिए अन्यत्र निकलना पड़ा। जिस हवेली में जद्दनबाई रहती थीं, गांव के लोग उसे 'नरगिस की पक्की' कहते हैं। गांव को संजय के गोद लेने के बाद एक बार फिर 'नरगिस की पक्की' की चारों ओर चर्चा शुरू हो गयी है। 
---गांव को स्कूल की जरूरत
पूर्व प्रधान ने कहा कि संजय दत्त के चिलबिला को गोद लेने से गांव की तस्वीर चमक जायेगी और चतुष्कोणीय विकास होगा। उन्होंने बताया कि गांव के लोगों का कहना है कि जद्दन बाई ने कलकत्ता जाकर मोहनबाबू नामक एक रसूख वाले व्यक्ति से शादी कर ली थी वहीं नरगिस का जन्म हुआ था। आठ वर्ष की उम्र में ही मोहनबाबू जद्दनबाई के साथ नरगिस को लेकर मुंबई चले गये थे। नरगिस गांव वापस अंतिम बार वर्ष 1966 में यहां आयी थीं। उस समय एक बडेÞ जलसे का आयोजन कर उनका भव्य स्वागत किया गया था। तब तक वह फिल्मी दुनिया में रम गयी थीं। वर्ष 1996 में सुनील दत्त पहली और अंतिम बार चिलबिला गांव आए थे। देखा कि अस्पताल न होने से यहां के लोग इलाज के लिए परेशान होते थे। इस पर उनके प्रयास से वर्ष 1998 में गांव में नवीन स्वास्थ्य केंद्र बनना शुरू हुआ, जो 2004 में पूरा हुआ। इसका उद्घाटन करने से पहले ही उनका निधन हो गया। अस्पताल अब बदहाल है। उसमें दरवाजा तक टूट चुका है। अब गांव में अच्छे विद्यालय की बड़ी जरूरत है। 
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