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चीन की दक्षिण चीन सागर में कार्रवाई से खड़े हुए सवाल: मैटिस

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 2 2018 4:05PM | Updated Date: Jun 2 2018 4:05PM
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सिंगापुर। अमेरिका ने कहा है कि वह चीन के साथ 'परिणाम लाने वाली' बातचीत का इच्छुक है लेकिन दक्षिण चीन सागर में की जा रही कार्रवाई से उसकी नीयत पर सवाल खड़े होते हैं। अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने शनिवार को कहा कि अगर आवश्यकता पड़ी तो अमेरिका 'पूरी ताकत' के साथ जवाब देगा।

मैटिस ने सिंगापुर में वार्षिक शांगरी-ला संवाद के अपने संबोधन में यह बात कही। अमेरिका के रक्षा मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दक्षिण चीन सागर को लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ा हुआ है। इससे यह भी साफ हो जाता है कि अमेरिका किस तरह से उत्तर कोरिया मामले में चीन के सहयोग और विवादित दक्षिण चीन सागर में उसकी गतिविधियों पर संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है। मैटिस ने कहा, 'दक्षिण चीन सागर में चीन की नीति हमारी नीति के एकदम उलट है। इससे चीन के व्यापक लक्ष्यों पर सवाल खड़े होते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्दी ही चीन की यात्रा करेंगे।
उन्होंने कहा, 'अमेरिका चीन के साथ सकारात्मक और परिणाम लाने वाले संबंधों को आगे बढ़ाने का इच्छुक है लेकिन हम आक्रामकता दिखाने की जरुरत आन पड़ेगी तो पूरी ताकत के साथ जवाब देंगे। अमेरिका दक्षिण प्रशांत में शांति में चीन की भूमिका को स्वीकार करता है।'
मैटिस ने कहा, 'चीन के दावों के विपरित दक्षिण चीन सागर में हथियार प्रणालियों को स्थापित करने का सीधा संबंध इसके सैन्य इस्तेमाल से है जिसका उद्देश्य धमकाना और दबाब बनाना है।' पिछले महीने चीन की वायुसेना ने युद्धाभ्यास के नाम पर अपने लड़ाकू विमान दक्षिण चीन सागर के विवादित द्वीपों पर उतारे थे जो वियतनाम और फिलीपींस के लिए ंिचता का विषय था। उपग्रह से 12 मई को ली गयी तस्वीरों में विवादित सागर में स्थित द्वीप पर चीन के ट्रकों पर लगी सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और एंटी शिप क्रूज मिसाइल दिखायी देती हैं। इस तरह के अभियान की योजना काफी समय पहले तैयार कर ली जाती है। अमेरिका के बड़े नौसैनिक अभ्यास में चीन को आमंत्रित नहीं किया गया। इसके कुछ दिन बाद ही चीन ने दक्षिण चीन सागर में इस कार्रवाई को अंजाम दिया। मैटिस ने दोहराया कि अमेरिका ताइवान के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका ताइवान को आत्मरक्षा के लिए आवश्यक वस्तुएं एवं सेवाएं प्रदान करेगा। 
अमेरिका की इस टिप्पणी से चीन की नाराजगी बढ़ने की आशंका है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और यह उसके सबसे संवेदनशील मुद्दों में से एक है।
 
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