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ईरान ने चेताया, राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले से बढ़ेंगी मुश्किलें

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 9 2018 11:02AM | Updated Date: May 9 2018 11:03AM
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तेहरान। 2015 में विश्व शक्तियों के साथ अमेरिका के परमाणु समझौते पर राष्ट्रपति ट्रंप व्हाइट हाउस में अपना फैसला सुनाएंगे। माना जा रहा है कि वह इस परमाणु समझौते को तोड़ सकते हैं। यूरोपीय राजनयिकों ने कहा कि ट्रंप को यह समझौता नहीं तोड़ने के लिए मनाने में वह पूरी तरह से असफल रहे हैं।
 
ट्रंप के फैसला लेते ही अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ तेहरान के रिश्तों में दरार आना तय हो जाएगा, क्योंकि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने स्पष्ट कहा है कि यदि ऐसा हुआ तो इससे देश को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं ट्रंप का कहना है ईरान इस समझौते के मूल भाव का पालन नहीं कर रहा और असल में प्रतिबंधों का लाभ उठा रहा है।
 
राष्ट्रपति ट्रंप शुरू से ही ईरान के साथ हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते के मुखर विरोधी रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के अलावा जर्मनी के साथ हुए इस समझौते के मुताबिक ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम बंद करने के लिए राजी हुआ था और बदले में ईरान पर लंबे समय से लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी गई थी। ट्रंप का यह फैसला यूरोपीय संघ की कोशिशों को भी बड़ा झटका होगा, जो शुरू से ही इस समझौते को बचाने में जुटा है। इसीलिए कुछ यूरोपीय देश ट्रंप द्वारा ईरान के साथ परमाणु समझौता रद्द करने के बावजूद डील पर कायम रहने की बात कह चुके हैं। 
 
बाकी दुनिया के साथ काम करने का इच्छुकअमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के विश्व शक्तियों के साथ हुए परमाणु करार से अलग हटने के फैसले पर अमल करने की स्थिति में ईरानी राष्ट्रपति ने आगाह किया कि इससे देश को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप का नाम लिए बिना रूहानी ने तेहरान में पेट्रोलियम सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की। ट्रंप के ट्वीट के बाद ईरान की तरफ से यह पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया है। 
 
रूहानी ने कहा यह संभव है कि हमें तीन-चार महीने तक समस्याओं का सामना करना पड़े, लेकिन यह दौर गुजर जाएगा। उन्होंने चेताया कि ईरान बाकी दुनिया के साथ काम करना चाहता है और दुनिया के साथ सकारात्मक रूप से जुड़े रहना चाहता है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह यूरोप के लिए संकेत है, जो 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु करार के बाद ईरान के साथ कई कारोबारी समझौतों से जुड़ा है। रूहानी पहले भी कह चुके हैं कि यदि ट्रंप ने ईरान के साथ समझौता रद्द किया तो अमेरिका को एतिहासिक रूप से पछताना पड़ सकता है। 
 
यह हो सकता है असर
- ईरान पर दोबारा आर्थिक प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे वैश्विक तेल कंपनियों पर ईरान से तेल नहीं खरीदने का दबाव बढ़ेगा।
- भारत जैसे अमेरिका के करीबी देशों ने ईरान के साथ तेल पर समझौता किया है, जो ट्रंप के फैसले से विवाद में आएंगे।
- अमेरिका के प्रति नफरत की भावना बढ़ेगी और ईरान परमाणु गतिविधियां बढ़ा देगा। आशंका है कि इसके बाद ईरान मिसाइल परीक्षण शुरू कर देगा। 
- इसका बड़ा असर ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग की शिखर वार्ता पर पड़ सकता है। संभव है कि किम इस फैसले के बाद शिखर वार्ता रद्द कर दें।
 
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