बीजिंग। भारत ने चीन की राजधानी बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में आर्थिक और निवेश संबंधों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा है कि कारोबारी संरक्षणवाद के सभी स्वरूपों का खारिज किया जाना आवश्यक है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शंघाई में विदेश मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि पारस्परिक लाभ के लिए आर्थिक वैश्विकरण और अधिक खुला, समावेशी, निष्पक्ष और संतुलित होना चाहिए। संरक्षणवाद के सभी स्वरूपों का खारिज किया जाना आवश्यक है और व्यापार के मार्ग में आने वाले अवरोधों को दूर करने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए।" कारोबारी संरक्षणवाद एक ऐसी नीति है जो विदेशी उद्योग की प्रतियोगिता को सीमित करती है। कुछ देश कारोबारी संरक्षणवाद का समर्थन कर रहे हैं। भारत और चीन इसका मजबूती के साथ विरोध कर रहे हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के प्रयास के तहत सुषमा स्वराज ने कहा, "हमें वैश्विक अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए व्यापार और निवेश में उदारवाद और सहजता को प्रोत्साहित करना होगा। इस संबंध में हमें उन्नयन के क्षेत्रों अर्थव्यवस्था डिजीटलीकरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, कृषि, खाद्य सुरक्षा के विविध क्षेत्रों में सहयोग करना होगा।"
----हम पेरिस समझौते के लिए प्रति
सुषमा स्वराज ने शंघाई सहयोग संगठन को सतत पोषणीय विकास, स्वच्छ और स्वस्थ जीवन, बहुपक्षीय कारोबारी प्रणाली, दोहा डवलेपमेंटल एजेंडा, निशस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार पर दुनियाभर के देशों के विचारों को तय करने वाला मंच बताते हुए कहा, "हम जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए जलवायु परिवर्तन के संयुक्त राष्ट्र प्रारूप सम्मेलन और 2015 के पेरिस समझौते के प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने कहा, "हम नवीनीकरणीय ऊर्जा के नियोजन की कीमतों को घटाने के लिए पारस्परिक सहयोग की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करते हैं।"
गौरतलब है कि सुषमा स्वराज शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के दौरे पर हैं। भारत और पाकिस्तान हाल ही में इस संगठन के पूर्णकालीन सदस्य बने हैं।