नई दिल्ली/बीजिंग। रूस के मिसाइल सिस्टम एस 400 पर भारत से पहले चीन ने बाजी मार ली। इसे लेकर फिलहाल भारत और रूस के बीच बातचीत अंतिम दौर में ही है, जबकि चीन को इसकी खेप की पहली डिलिवरी भी कर दी गई है। रूसी मीडिया के मुताबिक चीन को एस 400 के दो मिसाइल सिस्टम की मंगलवार को पहली डिलिवरी की गई। आने वाले दिनों में एक और सिस्टम की डिलिवरी की जाना है।
इस पूरे सिस्टम के तहत एक कमांड पोस्ट, राडार स्टेशन, लांचिंग स्टेशन समेत दूसरी जरूरी चीजें शामिल होती हैं। वहीं यदि भारत की बात करें तो रूस के मीडिया ने कहा है कि इस वर्ष तक भारत को भी इसकी आपूर्ति कर दी जाएगी। फिलहाल भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण रूस के दौरे पर हैं। वह यहां अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर होने वाले सातवें मॉस्को सम्मेलन में हिस्सा लेने आई हैं। इसी दौरान एस 400 को लेकर भी बात करेंगी।
दोनों देशों के बीच 40 हजार करोड़ का सौदा संभावित
निर्मला की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच करीब 40 हजार करोड़ रुपए के एस 400 मिसाइल सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है। चीन से बढ़ते खतरे के मद्देनजर भारत ने इस प्रणाली को खरीदने की योजना बनाई है। चीन से भारत की करीब चार हजार किमी लंबी सीमा मिलती है, जो कहीं-कहीं पर स्पष्ट भी नहीं है। इसकी वजह से अक्सर दोनों देशों की सेनाओं के बीच अवरोध भी उत्पन्न हो जाता है। हालांकि चीन ने हाल ही में जिस तरह से भारत से लगती सीमा पर अपनी तैयारियों को बल दिया, उसी तरह से भारत ने भी अपनी सीमा पर सुरक्षा को और पुख्ता कर दिया है।
चीन ने मारी बाजी
चीन के पास एस 400 होने के मद्देनजर यह और जरूरी हो गया है कि भारतीय सेना के पास भी यह हो। चीन ने सबसे पहले रूस से इस मिसाइल के लिए सौदा किया था। एस 400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को खरीदने के लिए उसकी बातचीत करीब दो साल से चल रही थी। इस एंटी-एयरक्रॉफ्ट सिस्टम में एक साथ चार मिसाइलों का इस्तेमाल होता है। एस 400 असल में इसके पहले आए एस 300 मिसाइल प्रणाली का बेहतर संस्करण है। इसे रूस का सबसे बेहतर लंबी दूरी तक सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल डिफेंस सिस्टम माना जाता है। भारत रूस के साथ एस 400 सिस्टम के अलावा पनडुब्बी भी खरीदने का भी इच्छुक है, लेकिन इस पर अभी गतिरोध बना हुआ है।