काठमांडू। नेपाल के तेजी से बदलते राजनीति परिदृश्य में एक नया मोड़ आ गया जब नवगठित ओली सरकार की सहयोगी सीपीएन ने सरकार से बाहर रहने का ऐलान कर दिया।
सीपीएन-यूएमएल ने 'जन युद्ध' की वैधता को अपनाने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय 'लोगों के बहु-पक्षीय लोकतंत्र' में अपनी निष्ठा बनाए रखी है।
माओवादियों के मुताबिक 10 वर्षों के आतंकवादी अभियान के दौरान हुई हिंसा की प्रकृति राजनीतिक थी और इसलिए वह उचित थी। वे चाहते हैं कि यूएमएल माओवादियों की 'राजनीतिक उपलब्धियों' को भी अपनाये। पार्टी के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक दूसरी ओर यूएमएल इसके बाद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितधारकों की तीखी प्रतिक्रिया को लेकर आशंकित है। यदि बात सही हुई तो यह दोनों पार्टियों के एकीकरण के प्रयासों के लिए भी गहरा आघात होगा। हालांकि बुधवार को दोनों पार्टियों की एकीकरण समन्वय समिति की घंटो चली बैठक के बाद यूएमएल नेता बामदेव गौतम ने दावा किया,"पार्टी एकीकीरण से जुड़े 95 प्रतिशत मामलों को सुलझा लिया गया है।"
यूएमएल हालांकि सरकार और एकीकृत पार्टी दोनों में माओवादियों को हिस्सा देने को राजी है। प्रमुख माओवादी नेता और पूर्व मंत्री गिरीराज मणि पोखरेल ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार को समर्थन जारी रखेगी लेकिन वैचारिक मतभेदों को सुलझाये जाने के बाद ही सरकार में शामिल होने पर विचार किया जाएगा।