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येरूशलम इजरायल की राजधानी घोषित, अरब देशों में प्रदर्शन शुरु

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 7 2017 3:54PM | Updated Date: Dec 7 2017 3:55PM
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वॉशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों के विरोध के बाद भी बुधवार रात को येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया है। अमेरिका के इस फैसले के बाद कई देश इसका विरोध कर रहे हैं। ट्रंप के फैसले से अरब देशों में प्रदर्शन शुरू हो गए हंै। 

ट्रम्प ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस फैसले का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपना दूतावास तेल अवीव से इस येरूशलम स्थानांतरित करेगा। ट्रंप ने कहा, अमेरिक हमेशा से दुनिया में शांति का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा। इसके साथ ही अमेरिका येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। 
 
ज्यादातर देशों को इस बात की आशंका है कि ट्रंप के फैसले के दुनिया में एक बड़ा विवाद छिड़ सकता है और विवाद एक बड़े युद्ध के रूप में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकता है। वहीं इस्लामिक स्टेट ने हमले की धमकी दी है।
 
फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा अमेरिका शांति समझौते में अपनी भूमिका से पीछे हट गया। अब्बास ने कहा, ट्रंप का यह फैसला निंदनीय और अस्वीकार्य है।
 
वहीं इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के इस फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए इसे अमेरिका का एक साहसिक कदम बताया है। नेतन्याहू ने अपने संबोधन में इसे शांति की दिशा में किया गया एक प्रयास बताया है। 
 
यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल है येरूशलम  इस इलाके को इजरायल ने 1967 में कब्जे में ले लिया था। यहां यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं।  
 
क्या है पूरा मामला? 
इजराइल और फिलिस्तीन दोनों इसे अपनी राजधानी बताते हैं। बता दें कि साल 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी और एक साल बाद येरूशलम का बंटवारा हुआ। बाद में 1967 में इजरायल ने 6 दिनों तक चले युद्ध के बाद पूर्वी येरूशलम पर कब्जा कर लिया। 1980 में इजरायल ने यरुशलम को अपनी राजधानी बनाने का ऐलान किया था। हालांकि अधिकतर देश इसके खिलाफ है। यहां किसी भी देश का दूतावास नहीं है। 86 देशों का दूतावास तेल अवीव में हैं।
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