बीजिंग। नॉर्थ कोरिया ने अब अमेरिका के बाद दूसरे देशों को भी डरा दिया है। अमेरिका को सहयोग करने की वजह से ऑस्ट्रेलिया भी नॉर्थ कोरिया के निशाने पर है। हालत यहां तक आ गई है कि ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री जुलिया बिशॉप को कहना पड़ा है- हम नॉर्थ कोरिया के पहले टार्गेट नहीं हैं।
लेकिन संयुक्त राष्ट्र में नॉर्थ कोरिया की ओर से कहा गया है कि जो भी देश नॉर्थ कोरिया के ऊपर कार्रवाई करने में अमेरिका का साथ देंगे, उसे नॉर्थ कोरिया की ओर से टार्गेट किया जाएगा। लेकिन जो देश अमेरिका को सहयोग नहीं देते हैं, वे सेफ महसूस करें, उनके ऊपर नॉर्थ कोरिया कार्रवाई नहीं करेगा।
संयुक्त राष्ट्र में नॉर्थ कोरिया के डिप्टी यूएन एम्बेसडर किम इन रयोंग के दस्तावेज में इस बात का खुलासा हुआ है। यह दस्तावेज यूएन जनरल असेंबली की एक कमेटी की ओर से परमाणु हथियारों को लेकर किए गए डिस्कशन में शामिल किया गया था। इसमें कहा गया है- जब तक अमेरिकी मिलिट्री एक्शन में कोई देश शामिल नहीं होता है, तब तक उसके ऊपर परमाणु हमला नहीं किया जाएगा। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि नॉर्थ कोरिया के पास यह शक्ति है कि वह अमेरिका को सीधे निशाना बना सकता है अगर अमेरिका नॉर्थ कोरिया के क्षेत्र में एक इंच भी दखल देता है। हालांकि, बोलते वक्त किम ने इन बातों का जिक्र नहीं किया।
नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच विवाद चरम पर है। एक ओर अमेरिका तानाशाह किम जोंग उन पर लगाम लगाने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी ओर नॉर्थ कोरिया पाबंदी मानने को तैयार नहीं और हमले की धमकी दे रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 18 अक्टूबर को तानाशाह परमाणु लैस मिसाइल टेस्ट करने वाला है, फिर जंग हो सकती है। जापान, साउथ कोरिया पहले ही आशंका जता चुके हैं।
इसी साल मई में किम जोंग उन ने जापान को चेतावनी दी थी कि परमाणु हमले से वे जापान को केक के टुकड़ों में बांट देंगे। नॉर्थ कोरिया ने जुलाई में ब्लैस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया था। इसकी रेंज 6700 किलोमीटर बताई गई जिसका मतलब था कि अलास्का भी इसकी जद में था।