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भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, ब्रिक्स के घोषणापत्र में शामिल हुआ आतंक का मुद्दा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 4 2017 11:47AM | Updated Date: Sep 4 2017 12:47PM
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बीजिंग। ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने पीएम नरेंद्र मोदी चीन पहुंचे हुए हैं। ब्रिक्स में हर तरह के आतंकवाद की निंदा हुई। इसमें पाकिस्तान का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया गया है, लेकिन उसकी जमीन से जो संगठन काम करते हैं, उनका साफतौर पर इसमें जिक्र किया गया है। यह भारत के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। क्योंकि तमाम ब्रिक्स देशों की इस घोषणा पत्र में सहमति होती है। इस फायदा अन्य विदेशी मंचों पर भी फायदा होता है, जहां भारत ने दुनिया को बताया कि किस तरह पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।

डोकलाम विवाद के बाद ब्रिक्स समिट में भारत को एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल हुई है, समिट के घोषणापत्र में चीन के विरोध के बाद भी आतंकवाद का मुद्दा शामिल किया गया। जिसमें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद का नाम लेकर उनकी निंदा की गई। साफ था कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत दुनिया के सामने अपना पक्ष रखने में सफल रहा। घोषणापत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया कि आतंक के खिलाफ दुनिया के सभी देशों को मिल जुलकर लड़ना होगा, और यह जिम्मेदारी किसी एक देश की नहीं सभी देशों की है।

डोकलाम विवाद के बाद पहली मुलाकात

विवादित डोकलाम इलाके में भारत और चीन के बीच दो माह तक चले गतिरोध के बाद दोनों देशों ने 28 अगस्त को अपने अपने सीमाई सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया था जिसके बाद पहली बार ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं की मुलाकात हो रही है।

पाकिस्तान के मुंह पर तमाचा

साफ है कि इन 10 संगठनों में से कई संगठन ऐसे हैं जिनका सीधा संबंध पाकिस्तान से है। इससे पहले कहा जा रहा था कि ब्रिक्स में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र नहीं किया जाएगा। लेकिन सभी ब्रिक्स नेताओं ने एक सुर से आतंकवाद की कड़ी निंदा की है।

क्या कहा गया है घोषणापत्र में ?

ब्रिक्स समिट में भारत ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। ब्रिक्स श्यामन घोषणापत्र के 48वें पैराग्राफ में आतंकवाद पर कड़ी चिंता व्यक्त की गई है। इसमें लिखा गया है कि हम लोग आस-पास के इलाके में फैल रहे आतंकवाद और सुरक्षा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हैं।

घोषणापत्र में कहा गया है कि हम लोग दुनिया भर में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की। इसमें कहा गया है कि आतंकवाद को किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। घोषणापत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी ब्रिक्स देश आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे।

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