बीजिंग। चीनी मानव अधिकार कार्यकर्ता और वर्ष 2010 के नोबल शांति पुरस्कार विजेता लिउ जियाबो का गुरूवार को 61साल की उम्र में निधन हो गया है। कैंसर पीड़ित नोबेल पुरस्कार विजेता लिउ जियाबो चीन में पिछले 11 साल से जेल में बंद थे। उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उनके विदेश में इलाज कराने की अनुमति देने को लेकर चीन पर काफी अंतराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ रहा था। सरकारी अस्पताल की ओर से उनकी हालत मृत्यु के निकट बताए जाने के बाद ऐसा हो रहा था। अमेरिका और जर्मनी ने भी 61 वर्षीय जियाबो के स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की थी। जियाबो का इलाज कर रहे अस्पताल में बुधवार को कहा था कि उनके अंग ने काम करना बंद कर दिया है और उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही है।
शेनयांग के पूर्वोत्तर शहर में चाइना मेडिकल यूनिवर्सिटी के फर्स्ट हॉस्पिटल के मुताबिक डॉक्टरों ने बताया था कि लिउ को जीवित रखने के लिए कृत्रिम वेंटिलेशन पर रखना होगा। लेकिन उनके परिवार वालों ने मना कर दिया था। मानवाधिकार संगठनों ने लिउ के स्वास्थ्य के बारे में निष्पक्ष खबरों की कमी की निंदा की थी और अधिकारियों पर खबरों से छेड़छाड़ कर जानकारी देने का आरोप भी लगाया था। संगठनों का कहना था कि भारी सुरक्षा कर्मियों से लैंस अस्पताल की वेबसाइट उनके स्वास्थ्य पर सूचनाओं का एकमात्र स्रोत है।