बीजिंग। चीन और भारत की सेना डोकलाम पठार पर आमने-सामने है। बीते कुछ सालों में चीन की सेना पहले भूटान के 4 अलग-अलग इलाकों में अतिक्रमण कर चुकी है इसके चलते दोनों देश के सैनिक आपस में नॉन कैबेटिव मोड में भिड़ भी चुके है इस पूरे मुद्दे पर बातचीत तभी संभव है जब भारत अपने सैनिक हटाए। भारत सरकार ने स्थिति में अपनी रणनीति पर विचार कर यह साफ कर दिया है कि वह जल्दी में नहीं है। भारत और चीन के बीच जारी यह तनाव सर्दियों तक जारी रह सकता है। भारत ने सैनिकों को अपने पोजिशन से पीछे न हटने के लिए कहा है। भारतीय सेना ने इस इलाके में तंबू लगा लिए है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच 2005 में सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक समझौता हुआ था इसके मुताबिक दोनों देश सीमा पर जो स्थिति रही है उसे बरकरार रखेंगे। चीन और भूटान के बीच भी सीमा को लेकर एक समझौता हुआ है जिसमें दोनों देश की सीमाएं उस समय तक बनी रहेंगी जब तक सीमा पर जिसके सैनिक मौजूद है वे वहीं पर बने रहेंगे विदेश सचिव एस जयशंकर ने भी कहा है कि भारत और चीन इस गतिरोध को जल्द सुलझा लेंगे।
भारत और भूटान के बीच गहरे रिश्ते है 1958 में तब के पीएम जवाहरलाल नेहरू ने संसद में कहा था- भूटान के खिलाफ कोई भी एक्शन भारत के खिलाफ एक्शन माना जाएगा। चीन और भूटान के बीच कूटनीतिक संबंध नहीं है डोकलाम काफी ऊंचाई पर स्थित है। यहां भारत और भूटान रणनीतीक तौर पर बहुत मजबूत स्थिति पर है भारत इसे डोका ला और भूटान इसे डोकालाम कहता है जबकि चीन इसे अपने डोंगलांग रीजन का हिस्सा बताता है। जानकारों का मामला है कि चीन को लगता था कि वो भूटान को दबाव बना लेगा लेकिन भारत बीच में आ गया तो मामला फंस गया