बीजिंग। चीनी मानव अधिकार कार्यकर्ता और वर्ष 2010 के नोबल शांति पुरस्कार विजेता लिउ जियाबो लीवर कैंसर के अंतिम चरण में है और इसके बावजूद चीनी सरकार ने उन्हें विदेश जाकर इलाज कराने की अनुमति नहीं दी है। उन्हें 2011 में अदालत ने राज्य की शक्तियों को कम करने सबंधी भाषण देने और एक व्यापक याचिका को लिखने में मदद करने के आरोप में 11 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस समय वह लीवर कैंसर की अंतिम अवस्था में है। इस समय उनका इलाज सेनयांग शहर में किया जा रहा है।
परिजनों ने मीडिया को जारी एक बयान में कहा कि जियाबो को लीवर सिरोसिस के कारण कैंसर की बीमारी है और इसके चलते पेट के आसपास काफी मात्रा में पानी भर गया है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अमेरिका, जर्मन और यूरोपीय संघ के राजदूतों ने चीन से उनके बेहतर उपचार के लिए विदेश भेजे जाने का आग्रह किया था जिसे चीन सरकार ने अमानवीय रवैया अपनाते हुए ठुकरा दिया।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लुकांग ने इन देशों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत के बारे में प्रतिक्रिया करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि यह चीन का अपना आंतरिक मामला है और इस पर किसी देश के साथ किसी तरह की कोई बातचीत नहीं की जा सकती है। उनके परिवार के एक सदस्य ने बताया कि यह बहुत ही मुश्किल होगा कि बीमारी की वजह से चीन सरकार उन्हें विदेश भेजने पर राजी हो जाए और जियाबो न केवल अंतिम सांस लेने के लिए एक बेहतर जगह की तलाश के इच्छुक है बल्कि वह अपने जीते जी अपने भाई और पत्नी को भी आजाद देखना चाहते है।