लंदन। ब्रिटेन में हुए आम चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री टेरीजा मे को बड़ा झटका लगा है। उनकी पार्टी कंजरवेटिव पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया। ब्रिटेन की कुल 650 सीटों में से अभी तक आए नतीजों के अनुसार कंजरवेटिव पार्टी को 310, लेबर पार्टी को 258 और लिबरल डेमोक्रेट को 12 सीटों पर जीत मिल चुकी है। स्कॉटिश नेशनल पार्टी को 34 सीटों पर जीत मिली है। साल 2015 में हुए चुनावों में कंजरवेटिव पार्टी को 331 सीटों पर जीत मिली थी। लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने टेरीजा मे से इस्तीफे की मांग की है लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया है कि वो ब्रिटेन में “स्थायित्व” सुनिश्चित करेंगी।
ब्रिटेन की कुल 650 सीटों के लिए मतदान हुआ। ब्रिटेन में करीब 4.58 करोड़ मतदाता हैं। बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 326 सीटें जीतनी होती हैं। ब्रिटेन में आम चुनाव तीन साल पहले कराए गए हैं। ब्रिटेन में संसद का कार्यकाल पांच साल का होता है। ब्रिटेन में पिछला चुनाव साल 2015 में हुआ था। पिछले साल ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने (ब्रेक्जिट) को लेकर हुए जनमत संग्रह में जनता ने यूरोपीय संघ छोड़ने को बहुमत दिया था।
एग्जिट पोल में 650 सीटों में से लेबर पार्टी को 266 सीटें, कंजर्वेटिव पार्टी को 314, स्कॉटिश नेशनल पार्टी 34, लेबर डेमोक्रेट को 14 सीटें मिलने की बात कही जा रही हैं। ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 650 में से 326 सीटें जीतना जरूरी है। अभी तक 650 में से 645 सीटों के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। इसमें लेबर पार्टी को 261, कंजर्वेटिव पार्टी को 314, स्कॉटिश नेशनल पार्टी को 35, लिबरल डेमोक्रेट्स को 12, डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी 10 और अन्य को 13 सीटों पर जीत हासिल हुई है। हालांकि अंतिम परिणाम थोड़ी देर में आ जाएंगे।
बताया जा रहा है कि लेबर पार्टी दूसरे अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। लिहाजा टेरीजा मे को सत्ता छोड़नी पड़ सकती है। लेबर पार्टी के प्रत्याशी जेरेमी कोर्बिन ने टेरीजा मे से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने को कहा है। हालांकि उन्होंने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। इस चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, जबकि मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी ने जबरदस्त बढ़त हासिल की है। इससे पहले साल 2015 में चुनाव हुए थे, जिसमें कंजर्वेटिव पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी। अगला चुनाव मई 2020 में होने थे, लेकिन पिछले साल ब्रेग्जिट पर आए जनमत संग्रह के बाद टेरीजा मे ने 19 अप्रैल को समय-पूर्व चुनाव कराने का फैसला किया था।