नई दिल्ली। चीन के ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि भारत को हिंदमहासागर में चीन को रोकने के प्रयास के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने पर ध्यान देना चाहिए। टाइम्स का कहना है कि भारत को चीन से मुकाबले के लिए जंगी जहाज बनाने के बजाय आर्थिक रूप से अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।
चीनी मीडिया का कहना है कि जंगी जहाज बनाने के लिए भारत अधीर हुआ जा रहा है। भारत अभी भी औद्योगिक विकास के शुरुआती दौर में है और उसे जंगी जहाज बनाने में कई प्रकार की तकनीकि समस्याओं का सामना करना होगा।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारत और चीन ने जहाज बनाने के अलग अलग रास्तों का चयन किया, दोनों ही देशों को अलग अलग परिणाम मिले क्योंकि दोनों की आर्थिक प्रगति में अंतर था।
23 अप्रैल को ही चीन ने अपनी नौसेना के 68वें स्थापना दिवस का जश्न मनाया और यह तय किया कि इस क्षमता में भारी वृद्धि की जाएगी। इस दौरान चीन के तीन बड़े नेवी के जहाज 20 देशों के दौरे पर निकले हैं। यह देश एशिया, यूरोप और अफ्रीका के देश हैं।
यहां पर यह भी दावा किया गया है कि युद्धपोत कई साल पहले ही तैयार कर चुका होता अगर बीजिंग किसी प्रकार से हथियारों की रेस में शामिल होता जिससे एशिया पेसिफिक और हिंद महासागर में चीनी वर्चस्व होता। चीन ने 1912 में अपना पहला युद्धपोत तैनात किया था।
इसी मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 1961 से युद्धपोत की कमान अपने हाथ में ली है। आईएनएस विक्रांत जिसे भारत ने अधूरा ही 1957 में खरीदा था ने 1971 के युद्ध में काफी अहम भूमिका निभाई थी। यह जहाज 1997 में नौसेना से रिटायर हुआ है।