वॉशिंगटन। अमेरिका ने H-1B वीजा फ्रॉड को पता लगाने और रोकने के नए उपाय जारी कर दिए हैं और इसका सीधा प्रभाव भारतीय आईटी कंपनियों और कर्मचारियों पर पड़ेगा। H-1B वह वीजा जिससे अमेरिकी कंपनियां बाहर के देशों से छात्रों और प्रोफेशनल्ज़ को काम पर रखती हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने चुनावी भाषणों के दौरान कहा था की H-1B वीजा के दुरुपयोग पर जांच होगी और इससे बेहतर तरीके से लागू किया जाएगा। भारतीय आईटी कंपनियों जैसे TCS, Infosys और wipro पर इनका सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ेगा क्योकि वही इस वीज़ा का सबसे ज़्यादा फायदा उठाती हैं।
अमेरिकी सिटिज़नशिप और इमीग्रेशन सर्विसेज (USCIS) की ये घोषणा 1 अक्टूबर 2017 से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष के लिए खुले वीजा एप्लीकेशन के ही दिन आई है। USCIS की इस घोषणा से अनुमान लगाया जा रहा है कि H-1B वीजा मिलना अब बेहद कठिन हो जाएगा। USCIS के पास जनरल केटेगरी में 65000 H-1B वीजा देने का आदेश है और 2000 उनके लिए जो विज्ञान और गणित के क्षेत्र में अमेरिकी विश्वद्यालयों से ही पढ़े हैं।
अमेरिका ने कही ये मुख्य बातें-
- अमेरिका का कहना है की इससे बेहतर चुनाव करने में मदद मिलेगी और सबसे कुशल लोग ही अमेरिका में काम कर पाएंगे।
- बहुत सारे कुशल अमेरिकी पहले की प्रक्रिया से इग्नोर कर दिए गए हैं और उन्हें बेहद नुकसान उठाना पड़ा है।
- फ्रॉड को पकड़ कर अपने अमेरिकी नागरिकों की सुविधा का ख्याल रखना देश के जिम्मे है।
- H-1B वीज़ा के लिए ईमेल के ज़रिये हेल्पलाइन भी चलाया जाएगा।
- USCIS उन लोगों पर ध्यान से जांच करेगी जिनका बेसिक बिज़नस इनफार्मेशन नहीं उपलब्ध होगा।