जापान। जापान में रहने वाले विदेशियों के साथ बहुत बड़े स्तर पर भेदभाव होता है जिसका खुलासा हाल ही हुए एक सर्वेक्षण में हुआ ।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि यहां रहने वाले 40 फीसदी छात्रों को घर मिलने में दिक्कतें होती है तथा एक तिहाई लोगों को नौकरी में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
जस्टिश मंत्रालय के सर्वेक्षण में पिछले पांच साल में यहां विदेशियों के साथ होने वाले भेदभाव को उजागर किया गया है। हालांकि वर्ष 2020 में टोक्यो ओलंपिक की मेजबानी करेगा।
सर्वे में कहा गया है कि भाषा की कोई समस्या नहीं है। इसमें कहा गया है कि जिन लोगों को नौकरी देने से मना किया जाता है उनमें से करीब 95 फीसदी अच्छी तरफ जापान की भाषा जानते या बोलते हैं। जिन लोगों को घर देने से मना किया जाता है उनमें से भी 90 फीसदी से यहां की भाषा को भलिभांति समझते हैं।
सर्वे में एक कोरियाई महिला के हवाले से कहा गया है कि मकान मालिक ने नागरिकता देखकर घर देने से मना कर दिया। महिला ने कहा ''मेरा जन्म यहीं हुआ है, यहीं बड़ी हुई हूं। मैं सिर्फ जापानी भाषा जानती हूं। इसके बावजूद जापान में बहुत भेदभाव किया जाता है।''
सर्वे में 18,500 विदेशी नागरिकों से संपर्क किया गया जिसमें 4,252 लोगों ने भेदभाव की बात स्वीकार की। इनमें से लगभग आधी आबादी चीनी तथा कोरियाई है तथा जिसमें 40 फीसदी से अधिक लोग दस साल से अधिक समय से यहां रह रहे हैं।
इसी प्रकार नौकरी के संबंध में 2,788 लोगों से सर्वें के लिये संपर्क किया गया जिनमें से 20 फीसदी के करीब लोगों ने बताया कि वह पिछले पांच साल से नौकरी की तलाश कर रहे हैं लेकिन एक ही प्रकार के काम के लिए जापान के नागरिकों के अलावा उन्हें कम वेतन दिया जाता है। इनमें से 17 फीसदी लोगों ने कहा कि नागरिकता को लेकर नौकरी में पदोन्नति नहीं हो पाती है। तेरह फीसदी लोगों ने कहा कि जापानियों के मुकाबले उनकी हालत काफी खराब है।