बीजिंग। भारत-चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन के एक पूर्व वरिष्ठ राजनयिक दाई बिंगुओ ने नया फॉर्मूला दिया है। उनका कहना है कि भारत के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन अपने कब्जे वाला एक बड़ा हिस्सा (अक्साई चिन) भारत को दे सकता है और बदले में चीन भारत से अरुणाचल प्रदेश में स्थित तवांग की मांग कर सकता है। अंग्रेजी अखबार टीओआई के मुताबिक यह सुझाव दाई ने एक पत्रिका के इंटरव्यू के दौरान दिया। दाई 2013 में सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक भारत के साथ चीन की विशेष प्रतिनिधि वार्ता का नेतृत्व किया था। दाई अभी भी चीनी सरकार के करीबी हैं और रणनीतिक समुदाय में उनकी टिप्पणी को गंभीरता से लिया जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वो चीन में सत्तासीन कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं की अनुमति के बिना ना कोई टिप्पणी करते हैं और ना ही कोई इंटरव्यू देते हैं।
50 के दशक से ही अक्साई चिन पर चीन का कब्जा
अक्साई चिन पर चीन का कब्जा हमेशा से ही भारत के लिए परेशानी का सबब बनता रहा है। 1950 के दशक से यह क्षेत्र चीन कब्जे में है पर भारत इस पर अपना दावा जताता है और इसे जम्मू और कश्मीर राज्य का उत्तर पूर्वी हिस्सा मानता है। अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्रफल के पांचवें भाग के बराबर है। चीन ने इसे प्रशासनिक रूप से शिनजियांग प्रांत के काश्गर विभाग के कार्गिलिक जिले का हिस्सा बनाया है। अक्साई चिन का क्षेत्रफल 42,685 स्क्वायर किमी है। 1962 के दौरान भारत और चीन के बीच हुए युद्ध का एक बड़ा कारण अक्साई चिन ही था।
तवांग में एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ
तवांग अरुणाचल प्रदेश की उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित है। तवांग की उत्तर-पूर्व दिशा में तिब्बत, दक्षिण-पश्चिम में भूटान और दक्षिण-पूर्व में पश्चिम कमेंग स्थित है। तवांग हिमालय की तराई में समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसका नामकरण 17वीं शताब्दी में मिराक लामा ने किया था। यहां पर मोनपा जाति के आदिवासी रहते हैं। यह जाति मंगोलों से संबंधित है। यहां पर एशिया का सबसे बड़ा तवांग मठ भी है। अपने बौद्ध मठों के लिए यह पूरे विश्व में पहचाना जाता है।