बीजिंग। चीन ने कहा है कि वह अपने उस सैनिक को वापस लाने के लिए भारत के साथ साझा प्रयास कर रहा है तो पांच दशक पहले भारतीय सीमा में दाखिल हो गया था और रिहा होने के बाद वहीं बस गया।
दूसरी तरफ, सरकारी मीडिया ने कहा कि सैनिक की घर वापसी में मदद से दोनों देशों के बीच आपसी समझ बढ़ेगी और संबंध बेहतर होंगे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने गुरुवार को कहा कि चीन वांग छी के मामले से अवगत है, जिसे 1963 में भारत में दाखिल होने के बाद पकड़ लिया गया था।
उन्होंने कहा, उसके साथ जो हुआ उसको लेकर हमें सहानुभूति है तथा हम उसको सहयोग प्रदान करेंगे। हमारा मानना है कि साझा प्रयास के तहत और उसकी इच्छा का सम्मान करे हुए मामले को उचित ढंग से हल कर लिया जाएगा।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा कि भारतीय और चीनी अधिकारियों को मध्य प्रदेश के एक गांव में रह रहे वांग की (77) की चीन वापसी और परिवार से पुनर्मिलाप को प्राथमिकता देनी चाहिये।
वांग पर बीबीसी के एक हालिया फीचर का हवाला देते हुये लेख में कहा गया है, यह स्पष्ट नहीं है कि वांग एक युद्ध बंदी है या नहीं, लेकिन एक उम्रदराज व्यक्ति का इतने लंबे समय तक अपने परिवार से दूर रहना अमानवीय है।
बीबीसी के इस फीचर ने नेट का इस्तेमाल करने वाले चीनी नागरिकों के बीच खलबली पैदा कर दी है।
लेख में कहा गया है, वांग की कहानी ने चीन के सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी थी और वांग की जल्द से जल्द घर वापसी में मदद करने की अपीलें बढ़ रही है। ऐसी अटकलें भी लगायी जा रही है कि भारत वांग को चीन लौटने से रोक कर जानबूझकर उसके लिए मुश्किलें पैदा कर रहा है।
भारतीय मीडिया में पहले भी वांग की कहानी प्रकाशित हो चुकी है लेकिन यह पहला मौका है जब चीन की सरकारी मीडिया ने उसकी दुर्दशा पर प्रकाश डाला है।
ग्लोबल टाइम्स ने वांग की स्थानीय भारतीय महिला से शादी का जिक्र नहीं किया जो इस बात से चिंतित है कि चीन लौटने के बाद क्या वांग वापस लौट पायेगा। वांग गांव में अपनी पत्नी और नाती—पोतों के साथ रह रहा है।
विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि वह चीनी सैनिक के मामले की जानकारियां जुटा रहा है और देख रहा है कि इस मामले को कैसे सुलझाया जा सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार वांग को भारत—चीन युद्ध के हफ्तों बाद जनवरी 1963 में भारत के पूर्पी सीमावर्ती इलाके से पकड़ा गया था।