बीजिंग/नई दिल्ली। पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए- मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर पर शिकंजा कसने की कोशिशों को चीन द्वारा रोकने पर भारत ने चिंता जताई है। ऐसे में भारत चीन को दुनिया के सामने आतंकवादी समर्थक बताने की कोशिश करेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध लगाने वाली कमेटी के सामने अजहर को आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव नौ महीने पहले रखा गया था। इस पर चीन ने तकनीकी रोक लगा रखी थी, जिसकी अवधि इसी हफ्ते खत्म हो रही थी। शुक्रवार को रिपोर्ट आई कि चीन ने रोक फिर बढ़ा दी है।
15 देशों की परिषद में सिर्फ चीन ही यह रोक लगा रहा है। उसका कहना है कि और समय मिलने पर कमेटी में मुद्दे पर ज्यादा विचार-विमर्श होगा और भारत और पाक बातचीत कर सकेंगे। प्रतिबंध लगने पर अजहर की संपत्तियां जब्त हो जातीं और उसके यात्रा करने पर पाबंदी होती। भारत ने कहा है कि प्रस्ताव को चीन के अलावा कमेटी के सभी सदस्यों का समर्थन मिला था।
पूरी दुनिया जानती है मसूद है आतंकवादी स्वरूप
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, पूरी दुनिया जानती है जैश पठानकोट समेत भारत में हुए कई आतंकी हमलों का जिम्मेदार है और संरा की लिस्ट में प्रतिबंधित है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय मसूद को प्रतिबंधों की सूची में शामिल कराने में नाकाम रहता है तो यह उन प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण झटका होगा, जिनके तहत आतंकवाद का मुकाबला करने के जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं।
हैरत में डालने वाला फैसला
स्वरूप ने कहा, चीन का फैसला हैरत में डालने वाला है, क्योंकि वह खुद आतंकवाद का कहर झेल रहा है। उसके ताजा फैसले के कारण प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के नेता के खिलाफ कार्रवाई से सुरक्षा परिषद को रोका गया है।
हमें उम्मीद थी चीन उन खतरों को अच्छी तरह समझेगा, जो आतंकवाद के कारण सामने आते हैं और इस साझा चुनौती से निपटने के लिए भारत और दूसरे देशों का साथ देगा। हम कोशिश जारी रखेंगे जिससे आतंकवाद के गुनहगारों को कानून की जद में लाया जा सके।
सीपेक में शामिल हों भारत समेत अन्य देश: चीन
चीन ने एक बार फिर भारत से कहा है कि वह 46 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपेक) परियोजना में शामिल हो। चीन ने कहा है कि इस परियोजना के लिए निवेश की मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
ऐसे में पाक की निवेश की भूख को अकेले चीन द्वारा पूरा नहीं किया जा सकता है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि कॉरिडोर को लेकर पाक में अंतहीन निवेश की मांग है।
हालांकि इस बात की उम्मीद है कि इस कॉरिडोर में चीन की तरफ से किए जा रहे निवेश में बढ़ोतरी होगी, लेकिन सिर्फ एक देश की फंडिंग से शायद ही पाकिस्तान की भूख शांत हो।