लाहौर। पेशावर के एक स्कूल में 16 दिसंबर, 2014 को हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान सरकार ने फांसी की सजा दिए जाने पर लगी रोक को हटा लिया था। तब से अब तक पाकिस्तान में कुख्यात आतंकियों समेत कुल 419 अपराधियों को फांसी पर लटकाया जा चुका है। इसके साथ ही पाकिस्तान दुनिया भर में फांसी की सजा दिए जाने के मामले में तीसरे क्रम पर आ गया है।
समाचार पत्र ‘डॉन’ की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ नेशनल एक्शन प्लान के तहत फांसी पर लगी छह साल पुरानी रोक को जब हटाया था, तब कहा था कि उन्हीं अपराधियों को फांसी दी जाएगी, जो आतंकवाद में शामिल रहे हैं, लेकिन मार्च 2015 में इस सजा को अन्य अपराधों के लिए भी हटा लिया गया। जस्टिस प्रॉजेक्ट पाकिस्तान नाम के संगठन के मीडिया एंड कम्युनिकेशन आॅफिसर रिम्मेल मोहिदीन ने कहा कि सरकार ने यह कदम प्रभावी तरीके से आतंकवाद से निपटने के लिए उठाया था, लेकिन सरकार ने इस रोक को खत्म करने के लिए कभी सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण नहीं दिया।
रिम्मेल ने कहा कि नई नीति को बिना किसी विचार-विमर्श के ही लागू कर दिया गया था। जस्टिस प्रॉजेक्ट पाकिस्तान की ओर से जुटाए गए डेटा के मुताबिक दिसंबर, 2014 के बाद से अब तक फांसी की सजा पाने वालों में कुल 16 प्रतिशत आतंकी थे, जबकि अन्य लोगों में विकलांग, मानसिक विक्षिप्त और नाबालिग कैदी भी शामिल थे।