नई दिल्ली। तीन दशक बाद आखिर भारत को विदेशी तोप मिलने का रास्ता साफ हो गया है। भारत ने अमेरिका के साथ पांच हजार करोड़ रुपए में हल्की 145 एम 777 हॉवित्जर तोप खरीदने का सौदा किया है। करार के मुताबिक 25 तोपें अमेरिका से तैयार करके भारत भेजी जाएंगी। बाकी 120 भारत में महिंद्रा कंपनी की मदद से असेंबल और टेस्ट की जाएंगी। यह तोप 24.7 किमी से 30 किमी तक मार कर सकती है।
सूत्रों को मुताबिक भारत ने बुधवार को हॉवित्जर डील के लिए लेटर आॅफ एक्सेपटेंस साइन कर दिया। भारत और अमेरिका के बीच दो दिन चलने वाली मिलिट्री को-आॅपरेशन ग्रुप (एमसीजी) में इस डील पर मुहर लगी। इस मीटिंग के लिए अमेरिका के 260 डिफेंस अफसर भारत आए हैं। भारत की तरफ से भी हाई लेवल आर्मी डेलिगेशन शामिल हुआ।
इस डील को हाल ही में सीसीएस यानी कैबिनेट कमेटी आॅन सिक्युरिटी ने मंजूरी दी थी। उल्लेखनीय है कि 30 साल पहले भारत ने स्वीडन से बोफोर्स तोपें खरीदी थीं। इस डील में कमीशन को लेकर काफी विवाद हुआ था। इसके बाद से भारत और अमेरिका के बीच तोप डील पर बातचीत होती रही, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका।
अक्टूबर में परिषद ने लगाई थी मुहर
रक्षामंत्री मनोहर परिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने हॉवित्जर तोपों के सौदे पर 20 अक्टूबर को मुहर लगा दी थी। फिर यह मामला कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति के पास गया था।
अरुणाचल-लेह में रोकेगी चीनी मंसूबे
सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना इन हॉवित्जर तोपों को ज्यादा ऊंचाई वाली चीन से लगने वाली सीमा (अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख) में तैनात करेगी। पहली दो तोप भारत को डील साइन होने के छह महीने के अंदर मिल जाएंगी। इसके बाद हर महीने दो तोपें भारत आएंगी।
अमेरिका ने सबको पछाड़ा
हॉवित्जर अमेरिका के अलावा कनाडा और आॅस्ट्रेलिया के पास हैं। इस डील के साथ ही अमेरिका रूस, इस्राइल और फ्रांस को पीछे छोड़कर भारत को आर्म्स सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। साल 2007 से अब तक भारत-अमेरिका के बीच 13 अरब डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी है।
खासियतों से भरपूर
डिजिटल फायर कंट्रोल वाली यह तोप एक मिनट में पांच राउंड फायर करती है। इसका वजन 4200 किलो से कम है। ऐसे में इसको जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से ले जाया जा सकता है।
तोप को ऑपरेट करना बेहद आसान
बेहद मजबूत लेकिन हल्के तत्व टाइटेनियम और एल्यूमिनियम की मिश्रण से इस तोप की बॉडी तैयार की गई है। चीन से निपटने में तो ये तोपें काफी कारगर साबित हो सकती हैं। भारत ये तोपें अपनी 17 माउंटेन कॉर्प्स में तैनात कर सकता है। दुश्मनों के ठिकानों पर निशाना लगाने वाली लेजर प्रणाली (लेजर इनर्शियल आॅर्टिलरी पॉइंटिंग सिस्टम) से लैस। हल्की होने के कारण इन्हें हेलिकॉप्टर या दूसरे विमान में लाद कर ले जाया जा सकता है।
कुछ खास बातें
1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई। बोफोर्स डील में हुए विवाद के बाद ये हालात बने। 500 करोड़ रुपए के सेल्फ प्रोपेल्ड गन का कॉन्ट्रैक्ट तैयार है। इसे एलएंडटी और सैमसंग टैकविन बनाएगी। भारत सरकार अपनी सेना के लिए 2027 तक मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम चला रही है। इस पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे।