टोक्यो। जापान दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोबे में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया, तो वहां भी नोटबंदी का मामला छाया रहा। इस अवसर पर उन्होंने देश के 125 करोड़ लोगों की प्रतिबद्धता को नमन् किया। मोदी ने कहा कि अगर सामान्य आदमी को भी जिम्मेदारी उठाने की बात आती है तो वो पीछे नहीं हटता। उन्होंने कहा, मेरे हाल के अनुभव ने यह साबित किया। आपको भी पता है...मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों को नमन् करता हूं। आखिरी दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को टोक्यो से कोबे जाने के लिए प्रसिद्ध शिंकनसेन बुलेट ट्रेन में सवारी की।
प्रधानमंत्री ने कहा, घर में शादी हैं, पैसा नहीं है। मां बीमार हैं, 1000 के नोट हैं, मुश्किल है। तकलीफ है। लोग मुंह में उंगली डाल-डालकर कोशिश कर रहे हैं कि मोदी के खिलाफ कुछ बोलो। लेकिन मैं सलाम करता हूं जनता को। उन्होंने कहा, कोई चार घंटे लाइन में खड़ा रहा, कोई छह घंटे। लेकिन इस फैसले को स्वीकार किया। ये अपने आप में देश के उज्ज्वल भविष्य की निशानी है।
मोदी ने कहा, ये ठीक है कि पाप करने वालों की संख्या ज़्यादा नहीं है। लाख दो लाख, पांच लाख होगी। लेकिन मुसीबत करोड़ों देशवासियों को हो रही है। इसके बावजूद वो झेलने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, पहले गंगाजी में कोई चवन्नी नहीं डालता था, अब नोट बह रहे हैं। लेकिन आप मुझे बताइए कि चोरी का पैसा बाहर निकालना चाहिए या नहीं।
प्रधानमंत्री ने कहा, इतना बड़ा देश है। 50 दिन दिए हैं। जल्दबाज़ी करने की कोई जरूरत नहीं है। अपनी ईमानदारी के पैसे जाकर जमा कराएं। खाते में पैसे आ जाएंगे। हालांकि, वो बिना हिसाब का पैसा रखने वालों पर ख़ूब बरसे भी। उन्होंने कहा, लेकिन मैं इस बात को स्पष्ट मानता हूं कि अगर बिना हिसाब का पैसा हाथ आया, तो मैं उसका देश की आजादी से लेकर अब तक का हिसाब चेक करने वाला हूं।
मोदी ने कहा, जितने नए लोगों को लाना पड़ेगा, लाकर इस काम में लगाऊंगा। ईमानदारी का पैसा है, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन ईमानदारी का पैसा नहीं है, तो बच नहीं पाएगा।