बीजिंग। जापान-भारत के बीच बढ़ती नजदीकियों से चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। उसने धमकी दी है कि अगर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी आगामी जापान यात्रा के दौरान दक्षिण चीन सागर मामले में जापान से समर्थन मांगते हैं तो भारत को चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। चीनी मीडिया ने यह चेतावनी बुधवार को दी। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे को खारिज कर चुका है।
अमेरिका का मोहरा न बने
सरकार संचालित ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में कहा, भारत को इस विवाद में उलझने की आशंका से सावधान रहना चाहिए, यह अमेरिका का मोहरा बनने के रूप में खत्म होगा और उसे विशेषकर चीन की तरफ से व्यापार और व्यवसाय के रूप में बड़ा नुकसान होगा। इसमें कहा गया, जापान के जरिए चीन को साधने से भारत का ज्यादा लाभ नहीं होगा। यह सिर्फ नई दिल्ली और बीजिंग के बीच अविश्वास को बढ़ाएगा।
एनएसजी मामले में चीन को बलि बकरा बनाना गलत
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि मोदी की जापान यात्रा के दौरान भारत टोक्यो से दक्षिण चीन सागर मामले में ट्रिब्यूनल के फैसले का पालन करने पर समर्थन मांग रहा है। लेख में कहा गया कि भारत दक्षिण चीन सागर में अपने रुख को इसलिए बढ़ावा देना चाहता है, क्योंकि बीजिंग ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की दावेदारी को रोक दिया था।
इसमें कहा गया, भारत जानता है कि संगठन के नियमों के अनुसार, वह एनएसजी की सदस्यता के लिए अब भी योग्य नहीं है। चीन का फैसला उसके अंतरराष्ट्रीय कर्तव्यों का निर्वहन भर था। भारतीय मीडिया और सरकार द्वारा चीन को बलि का बकरा बनाया जाना और अधिक मुश्किलें खड़ी करके बदला लेने की कोशिश करना बेतुका है।