वॉशिंगटन। विवाद...आरोप-प्रत्यारोप के बीच आखिरकार ‘व्हाइट हाउस की जंग’ मंगलवार को निर्णायक दौर में पहुंच गई। नया राष्ट्रपति चुनने के लिए करीब 10 राज्यों में वोटिंग शुरू हुई। डिक्सविले नॉच, हॉर्ट्स लोकेशन और मिल्सफील्ड्स में डाले गए वोट के बाद रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप, डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन से 32-25 से बढ़त बनाए हुए हैं। अब तक चार करोड़ 62 लाख लोग वोट डाल चुके हैं। एक्सपर्ट्स इसे रिकॉर्ड वोटिंग बता रहे हैं।
उधर, भारतीय समयानुसार 6.49 बजे हिलेरी क्लिंटन ने न्यूयॉर्क में वोट डाला। इसी दौरान बिल क्लिंटन ने भी वोट किया। अमेरिका के कई शहरों में पोलिंग बूथ पर वोटिंग के लिए सुबह से लंबी लाइनें देखी गर्इं। भारतीय समय के अनुसार पहला वोट भारतीय समयानुसार सुबह 10.30 बजे न्यू हैंपशायर के डिक्सेविल नॉच में डाला गया। अगले दिन यानी 9 नवंबर को सुबह 6 बजे तक वोट डाले जाएंगे। मंगलवार रात से ही यूएसए के छोटे राज्यों से चुनाव के नतीजें आने शुरू हो गए। बुधवार सुबह 9.30 बजे या 10 बजे तक तस्वीर साफ होने की उम्मीद है। अमेरिका में दो मुख्य पार्टी हैं रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी। 20 जनवरी 2017 से अमेरिका का अगला राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में कार्यभार संभालेगा। अमेरिकी संविधान के मुताबिक कोई भी राष्ट्रपति आठ साल से ज्यादा के लिए पद पर नहीं रह सकता।
न्यू हैंपशायर में हुई मिडनाइट वोटिंग
सबसे पहले न्यू हैंपशायर की तीन छोटी बस्तियों में हुई मिडनाइट वोटिंग की प्रकिया हुई। इन बस्तियों की आबादी 100 या उससे कम है। डिक्सविले में 1960 से रात में ही वोटिंग हो रही है। डिक्सविले नॉच में हिलेरी ने ट्रंप को 4-2 से हरा दिया। यहां कुल नौ वोट हैं। चार वोट हिलेरी को, दो वोट ट्रंप को मिले। वहीं, लिबर्टेरियन गैरी जॉनसन और मिट रोमनी को एक-एक वोट मिला। इसके अलावा, हॉर्ट्स लोकेशन में हिलेरी को 17 और ट्रंप को 14 वोट मिले। वहीं, मिल्सफील्ड्स में ट्रंप को 16 और हिलेरी को चार वोट मिले हैं।
20 करोड़ लोग डालेंगे वोट
न्यूज एजेंसियों के मुताबिक मंगलवार को अमेरिका में 4 करोड़ 42 लाख लोग वोट कर चुके थे। एक्सपर्ट्स इसे रिकॉर्ड वोटिंग मान रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में 20 करोड़ लोग वोट डालेंगे। 2012 में शुरुआत में तीन करोड़ 23 लाख लोगों ने वोट डाला था।
ऐसे होता है चुनाव
अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन देश के मतदाताओं द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से होता है। यानी मतदाता एक निर्वाचक मंडल का चुनाव करते हैं। यह निर्वाचक मंडल राष्ट्रपति का चुनाव करता है। अमेरिकी कांग्रेस के दो सदन हैं। प्रतिनिधि सदन में 435 जबकि सीनेट में 100 सदस्य हैं। कोलंबिया को मिलाकर कुल सदस्यों की संख्या 538 हो जाती है। यही 538 सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। जिसे 270 या इससे ज्यादा वोट मिलेंगे, वो राष्ट्रपति बन जाएगा। बहुमत हासिल करने के लिए 538 में 270 वोट हासिल करना जरूरी है। 270 इलेक्टोरल कॉलेज वोट पाने वाला उम्मीदवार राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करता है।
बदलाव के लिए वोट
शुरुआती वोटिंग के एक्सपर्ट माइकल मैक्डोनाल्ड के मुताबिक, लोगों का बड़ी तादाद में जल्दी वोट करना दिखाता है कि वे कुछ बदलाव चाहते हैं। इस तरह की शुरुआती वोटिंग एक टर्नआउट को भी दिखाती है। मुझे लगता है कि हिलेरी को इसका फायदा मिलेगा।
स्पेस से की वोटिंग
शैन किम्ब्रो एक अमेरिकी एस्ट्रोनॉट हैं, जो इन दिनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर तैनात हैं। शैन अक्टूबर में वहां पहुंचे थे और फरवरी पर धरती पर वापसी करेंगे। पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर अंतरिक्ष में तैरते हुए शैन ने भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान किया है। साल 1997 में टेक्सास में पारित हुए एक कानून के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को तकनीकी प्रक्रिया के जरिए मतदान करने का अधिकार मिला था। शैन कहते हैं, ‘एक एस्ट्रोनॉट अराजनीतिक व्यक्ति होता है। मैं देश के नए राष्ट्रपति का स्वागत करके खुशी महसूस करूंगा... फिर चाहे कोई भी इस पद पर जीते।’
गधा और हाथी ही चुनाव चिह्न क्यों?
डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनाव चिह्न गधे का किस्सा ये है कि उसे 1828 के राष्ट्रपति चुनावों में डेमोके्रटिक उम्मीदवार एंड्रयू जैकसन ने इस्तेमाल किया, क्योंकि उनके विपक्षी उन्हें इस नाम से बुलाते थे। इसके बाद डेमोक्रेटिक उम्मीदवार थॉमस नस्ट ने इसे अपने प्रचार में इस्तेमाल किया। 19वीं सदी के अंत तक ये पार्टी का लोकप्रिय चुनाव चिह्न बन चुका था। रिपब्लिकन पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के चुनावी अभियान में इलिनॉय के एक स्थानीय अखबार ने हाथी का इस्तेमाल रिपब्लिकन पार्टी कैम्पेन के लिए किया। वजह शायद ये रही होगी कि हाथी शक्ति का प्रतीक होता है!
150 वर्षों से आखिर मंगलवार को ही क्यों होते हैं चुनाव?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हर चार साल बाद नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को ही होते हैं। ऐसा 19वीं शताब्दी से होता आ रहा है। इसके पीछे धार्मिक और सामाजिक कारण हैं। चुनाव के लिए नवंबर के पहले सोमवार के बाद आने वाले मंगलवार को चुने जाने का फैसला 1845 में लिया गया था। उस वक्त यूएस कांग्रेस ने इसे लेकर एक नियम पास किया था। चुनाव के लिए नवंबर का महीना किसानों को ध्यान में रखकर चुना गया। इसके पीछे खास वजह थी। गर्मियों की शुरुआत या वसंत ऋतु में चुनाव रखने पर खेती प्रभावित हो सकती थी। मंगलवार का दिन इसलिए चुना गया ताकि दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले वोटरों का रविवार का दिन आवाजाही में व्यर्थ न हो और वे संडे को चर्च जा सकें। उस वक्त अमेरिका की एक बड़ी आबादी कृषि-संबंधी कार्यों से जुड़ी थी और वोट डालने के लिए वह लंबा सफर घुड़सवारी से करती थी। यह सफर एक दिन से भी ज्यादा का होता था। उस समय किसान शनिवार तक खेतों में काम करते थे और रविवार को आराम करते थे। ज्यादातर लोग संडे को चर्च जाते थे। ऐसे में वीकेंड में चुनाव रखने पर चुनाव में लोगों की भागीदारी प्रभावित हो सकती थी। सोमवार के दिन को चुनाव के लिए इसलिए नहीं चुना गया, ताकि आवाजाही में लोगों का समय बर्बाद न हो और ज्यादा लोग वोट कर सकेंगे। इस तरह नवंबर के पहले सोमवार के बाद मंगलवार का दिन चुना गया।