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जहां चीन को नहीं मिली एंट्री- आज वहां पहुंचा भारत, ये होंगे फायदे

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 27 2016 9:42AM | Updated Date: Jun 27 2016 1:47PM
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नई दिल्ली। चीन के विरोध के कारण भले ही भारत एनएसजी सदस्य ना बन पाया हो लेकिन भारत आज मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) का पूर्ण सदस्य बन गया। 34 देशों के इस समूह में शामिल होना भारत के लिए एक बड़ी कामयाबी है। इस ग्रुप का सदस्य बनने के बाद अब भारत दूसरे देशों के साथ हाई-एंड मिसाइल तकनीक को साझा कर सकेगा। भारत की यह सदस्यता इस लिहाज से भी अहम है कि NSG में एंट्री को लेकर रोड़े अटकाने वाला चीन MTCR का सदस्य नहीं है।

जयशंकर ने किए सदस्यता पर साइन
साउथ ब्लॉक में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत अलेक्सांद्र, नीदरलैंड के राजदूत अल्फोंसस और लक्जमबर्ग के राजदूत सैम श्रीनेर की मौजूदगी में इस 34 सदस्यीय समूह में प्रवेश संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।

भारत-पाक नहीं है MTCR सदस्‍य
भारत के लिए एमटीसीआर का सदस्य बनना एक बड़ी उपलब्धि है चीन 10 साल से इसकी सदस्यता प्राप्त करना चाहता है लेकिन वह सदस्य नहीं बन पाया वहीं पाकिस्‍तान भी एमटीसीआर का सदस्‍य नहीं बना पाया है। भारत एमटीसीआर का 35वां सदस्य होगा इसकी सदस्यता से भारत की मिसाइल टेक्नोलॉजी की गुणवत्ता में तो वृद्धि होगी ही साथ ही भारत मिसाइल का निर्यात भी कर पाएगा।

इटली का रुख भी हुआ नरम
MTCR में भारत की सदस्यता को लेकर इटली विरोध कर रहा था। इटली के विरोध की मुख्य वजह उसके दो नौसैनिकों पर भारत में चल रहा हत्या का मुकदमा था लेकिन नौसैनिकों के इटली लौटने के फैसले के बाद इटली का सुर भी नरम हुआ और भारत की राह आसान हो गई।

क्या है MTCR?
MTCR यानि मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम
MTCR 34 देशों का समूह
दुनियाभर में मिसाइल के प्रसार को रोकना
मानवरहित हथियार पर भी रोक लगाने का काम
मिसाइल क्षमता 300 किलोमीटर के दायरे में रहे
चीन और पाकिस्तान नहीं हैं सदस्य

MTCR से भारत को फ़ायदा
भारत मानवरहित ड्रोन ख़रीद पाएगा
अमेरिका से ख़रीद सकता है प्रिडेटर ड्रोन
ब्रह्मोस जैसी मिसाइल बेच सकेगा
NSG में भारत के दावे को मज़बूती

पिछले वर्ष किया था आवेदन
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि पिछले वर्ष एमटीसीआर की सदस्यता के लिए भारत ने आवेदन किया था और सारी प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।

हेग आचार संहिता का हिस्सा बनने पर सहमति
एमटीसीआर में प्रवेश के भारत के प्रयासों को तब प्रोत्साहन मिला जब उसने इस महीने की शुरूआत में हेग आचार संहिता का हिस्सा बनने पर सहमति जताई। हेग आचार संहिता बैलिस्टिक मिसाइल की अप्रसार व्यवस्था से संबंधित है।

पहली बार अहम हथियार निर्यातक देश बन सकेगा
रूस की मदद से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस बना चुका भारत इस समूह में शामिल होने के बाद पहली बार अहम हथियार निर्यातक देश बन सकेगा। हालांकि इसके बाद भारत अधिकतम 300 किमी मारक क्षमता वाली मिसाइल ही तैयार कर सकेगा। ताकि हथियारों की होड़ को रोका जा सके।

1987 में हुआ था गठन
एमटीसीआर का गठन वर्ष 1987 में दुनिया के सात बड़े विकसित देशों ने किया था। बाद में 27 अन्य देश भी इसमें शामिल हुए हैं। एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत हाईटेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है और अपना मिसाइल किसी और देश को बेच सकता है। 12 विकसित देशों ने मिलकर आणविक हथियार से युक्त प्रक्षेपास्त्रों के प्रसार को रोकने के लिए एक समक्षौता किया था जिसे मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) कहते हैं।

जारी रहेगी NSG में शामिल होने की भी कोशिश
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एनएसजी की सदस्यता न मिलने को नाकामी मानने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में हमें अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।

NSG सदस्यता हासिल करने में होगी आसानी
जानकारों के मुताबिक, भारत एनएसजी और एमटीसीआर के अलावा वासेनार एरेंजमेंट और ऑस्ट्रेलिया समूह का भी हिस्सा बनने को उत्सुक है। लेकिन एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत के लिए एनएसजी की सदस्यता हासिल करने में आसानी होगी।

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